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रांची/डेस्कः आज से देशभर में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों पर एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड ने पैनल चर्चा आयोजित की. एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के संस्थापक अध्यक्ष और चांसलर के दृष्टिकोण और मिशन के मद्देनजर आज सोमवार यानी 1 जुलाई 2024 को एमिटी लॉ स्कूल और छात्र कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से 'नए आपराधिक कानूनों पर पैनल चर्चा' का आयोजन किया. बता दें, देशभर में आज से लागू किए गए नए कानूनों में मुख्य रुप से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) शामिल है.
वहीं 'नए आपराधिक कानूनों पर पैनल चर्चा' के कार्यक्रम के अवसर पर एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के कुलपति डॉ अशोक के श्रीवास्तव ने शुभकामनाएं दी. पैनल चर्चा के दौरान रांची इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिन्हा ने कानून के संबंध में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी देते हुए कहा कि अपनी ताकत और संसाधनों के भीतर पुलिस की बुनियादी जिम्मेदारियों का उल्लेख किया. साथ ही कहा कि जब से वे पुलिस में शामिल हुए हैं अक्सर साइबर क्राइम के मामले सामने आते रहते हैं. अजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, तीन आपराधिक कानूनों में से एक है जो संगठित अपराध, घृणास्पद भाषण, मॉब लिंचिंग, आतंकवादी कृत्य आदि से संबंधित है उन्होंने कहा, कि लाए गए तीनों नए कानूनों को डिजिटल तरीके से निपटाया जाएगा, जिससे समाज को फायदा होगा.
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एक अन्य पैनलिस्ट, रांची परिवार न्यायालय के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश सी.बी. सिंह ने कहा कि इन नए आपराधिक कानूनों में कुछ कमजोर बिंदु बने रहेंगे. उन्होंने कहा, इन कानूनों में 'इंडिया' शब्द को 'भारत' से बदल दिया गया है. तीसरे पैनलिस्ट, झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सह केंद्र सरकार के वकील अवनीश रंजन मिश्रा ने बताया कि औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (आईईए) को अब प्रतिस्थापित कर दिया गया है पहले कानून को भारतीय न्याय संहिता, दूसरे कानून को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और तीसरे कानून को भारतीय साक्ष्य अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है
नए आपराधिक कानूनों पर पैनल चर्चा' के कार्यक्रम के दौरान एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के डीन (अकादमिक) डॉ. अजीत कुमार पांडे, एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड सह एमिटी लॉ स्कूल के डीन डॉ. बीएस यादव के साथ-साथ संकाय के अन्य सदस्य मौजूद रहें.