न्यूज़11भारत
रांची/डेस्क: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ग्रामसभा की मजबूती के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने के संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. पत्र में बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि ग्रामसभा लोकतंत्र का आधार स्तंभ है लेकिन आपकी सरकार ने इसके अधिकारों को जब्त कर लिया है. आपको याद होगा कि संयुक्त बिहार के समय से 32 वर्षों तक पंचायत चुनाव लंबित थे जिसे पूर्ववती भाजपा सरकार में ही संपन्न कराकर पंचायतों को अधिकार दिए गए थे. परंतु आज चुने हुए जनप्रतिनिधि होने के बावजूद उनके अधिकार छीन लिए गए हैं.
आज स्थिति यह है कि पंचायतों के अधिकार से संबंधित निर्णय भी जिला में बैठे पदाधिकारी ले रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास, अबूवा आवास बालू घाट नीलामी ग्रामीण हाट, बाजार से संबंधित निर्णय ग्रामसभा, पंचायत समिति से न होकर जिला स्तर से हो रहा है. आपके संज्ञान में आया होगा कि विगत दिनों गिरिडीह में हुई जिला स्तर की बैठक में बिना ग्राम सभा से पारित अबूआ आवास की स्वीकृति का विरोध हुआ, और पारित नहीं कराया जा सका.
उन्होंने आगे लिखा कि ऐसी बातों से लगता है कि राज्य सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं करती है तथा दलालों बिचौलियों के माध्यम से राज्य की व्यवस्था को चलाना चाहती है. आज उसी का परिणाम है कि ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि मुखिया, पंचायत सचिव जल सहिया, दिव्यांग अपने अपने संगठनों के बैनर तले राजभवन के पास धरने पर बैठे हैं. राज्य के व्यावसायिक शिक्षक, कंप्यूटर ऑपरेटर भी बड़ी संख्या में आंदोलन कर रहे हैं.
बाबूलाल ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार नई नई लोक लुभावन योजनाओं के प्रचार प्रसार, विज्ञापन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही वही दूसरी ओर वर्षों से स्वीकृत और लागू योजनाओं के लाभार्थी दर दर भटक रहे धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकार अपनी साढ़े चार वर्षों की विफलताओं को सस्ती लोकप्रियता के माध्यम से पर्दा डालना चाहती है. राज्य सरकार की मंशा लोक कल्याण की नही दिखाई देती है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री जी मैने धरना स्थल पर बैठे आंदोलनकारियों से मुलाकात की तो मुझे लगा कि सरकार की नियत इनकी समस्याओं के समाधान करने में नहीं हैं. अगर होती तो इनकी जायज मांगों को सरकार अविलंब पूरा कर सकती थी. मैं पत्र के साथ धरना पर बैठे विभिन्न संगठनों के मांग पत्र को संलग्न कर रहा हूँ. आपसे आग्रह है कि जनहित में आप इस गंभीर मामले में अवश्य विचार करेंगे.