न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- सोमवार से पूरे देश में तीन आपराधिक कानून लागू लागू हो गए हैं. भारतीय न्याय सहिंता, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता व भारतीय साक्ष्य सहिंता. आइए जानते हैं इन तीनों कानून के बारे में,
बता दें कि देश के आपराधिक कानून में बदलाव किए गए हैं सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता बीएनएसएस लागू की जाएगी. आईपीसी इंडियन पीनल कोड के जगह भारतीय न्याय सहिंता 2023 को लागू किया गया है. इंडियन एवीडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू की गई है.
1. किसी ने क्राइम किया हो तो उसे गिरफ्तार करने का क्या नियम है, पुलिस हिरासत में कैसे रखेगी, अदालत क्या करेगी, आरोपी के क्या अधिकार हो सकते हैं, कैदी के क्या अधिकार होंगे, पहले ये सारे चीज सीआरपीसी से तय किया जाता था. अब ये सारा चीज भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता से तय किया जाएगा.
2.क्राइम के बाद किसी आरोपी को साबित करने के लिए जो सबूत पेश किया जाता है, केस के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, ये सारा कुछ इंडियन एविडेंस एक्ट में था, अब ये प्रावधान भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में होगा.
3.अपराधी के कौन कौन से कृत्य को अपराध माना जाएगा, उनकी क्या सजा होगी ये सारा कुछ आइपीसी में था जो अब भारतीय न्याय सहिंता में होगा.
बीएनएसएस, BNSS
भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023,BNSS दंड प्रक्रिया सहिंता ने 1973 सीआरपीसी की जगह ले ली है. CRPC के तहत गिरफ्तारी अभियोजन व जमानत जैसी प्रक्रियाओं के लिए होती थी. अब इसके जगह बीएनएसएस आ गया है इसमें और भी कई प्रावधान जोड़े गए हैं,BNSS में कुल 531 धाराएं हैं इसके 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है वहीं इसके 14 धारा को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं व 39 उप धाराएं जोडी गई है. सीआरपीसी की 14 धारा को न्यायिक प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है. पहले प्रावधान था कि सिर्फ 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी अब 60 से 90 दिन तक दी जा सकती है.
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
IPC के जगह BNS को लाया गया है, आईपीसी में कुल 511 धाराएँ थी वहीं बीएनएस में अब सिर्फ 358 धाराएं बच जाती है. आइपीसी की तमाम धाराओं को बीएमएस में कॉम्पैक्ट कर दिया गया है. इसमें 21 नए धाराएँ भी जोड़ी गई है. 41 अपराधों में जेल की समय सीमा बढ़ाई गई है वहीं 82 अपराधों में जुर्माने की रकम को बढाया गया है. 25 अपराधों में न्यूनतम सजा रखी गई है. 6 अपराधों में कम्युनीटी सर्विस करने का प्रावधन है.नए कानून के अंतर्गत जाति धर्म व भाषा के आधार पर लोग समूह बना कर किसी की हत्या करता है तो उन्हे आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है, आरोपी की परिपक्वता के हिसाब से सजा को बढाया जा सकता है. BNS में बच्चे व महिलाओं से जुड़े मेरिटल रेप,संगठित अपराध,मर्डर,जुड़े क्राइम,चुनावी अपराध की धारा शामिल है.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम BSA
बीएसए में कुल 170 धाराएं हैं जिनमें से 24 को संशोधित किया गया है1872 के 167 धाराओं में 6 को निरस्त किया है, 2 नई धारा व 6 उपधाराएं जोड़ी गई है. इसमें इलेक्ट्रोनिक सबूत को कोर्ट में मान्यता दी गई है. आइपीसी में कुल 511 धाराएं थी पर भारतीय न्याय सहिंता में कुल 356 धाराएं हैं. कई धारा हटा कर कई नए धारा जोड़ी गई है. कानूनी प्रक्रिया में देर से जस्टिस के चलन को हटाने में मदद मिलेगी.