एक साफ सुथरा सुनने व बोलने वाले उम्मीदवार को सिविल सर्जन ने दे दिया मुकबधिर का प्रमाण पत्र
न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- पीजीटी शिक्षक बहाली में एक बोलने व सूनने वाले शख्स की नियुक्ति मुकबधिर आरक्षण कोटे में हुई है. इसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए देवघर के डीसी को इस पर कार्रवाई करने को लेकर निर्देशित कर कहा गया था कि मामले की छानबीन कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट दिया जाए. देवघर डीसी ने इस मामले को लेकर समिति की गठन की गई और इसमें सिविल सर्जन को डॉ रंजन सिंहा को रखा गया है. सिविल सर्जन ने अपनी अपनी एक रिपोर्ट सौंपी थी पर डीसी को यह रिपोर्ट संदेह के घेरे में लगा, डीसी ने फिर से एक कमिटि बैठाया और इसमें एम्स के डॉक्टर को रखा गया.
सिविल सर्जन पर संदेह
देवघर डीसी ने पहली जांच समिति बैठाई तो इसमें उन्हें संदेह लगा. चुंकि योगेंद्र कुमार को मुकबधिर होने का प्रमाण पत्र डॉक्टर रंजन सिंहा ने ही दिया था. जिसे पहली जांच समिति में सदस्य बनाया गया था. योगेंद्र कुमार जबकि साफ तौर पर बोल व सुन सकता है. ऐसे में इस डॉक्टर को जांच समिति का सदस्य बनाना उचित नहीं था. अब डीसी ने एक दूसरी जांच समिति बैठाई है जिसमें एम्स के डॉक्टर को रखा गया है.
नई कमिटी में एम्स के डॉक्टर शामिल
सिविल सर्जन डॉक्टर रंजन सिंहा ने मामले को लेकर जो रिपोर्ट सौंपी थी वो बिल्कुल बेतुकी थी. इस पूरे मामले में सर्जन रंजन सिंहा फंसते नजर आ रहे हैं. डॉक्टर ने जो रिपोर्ट डीसी को सौंपा इसमें बताया गया कि योगेंद्र कुमार पहले मुकबधिर था पर अब धीरे धीरे बोलना स्टार्ट किया है. जबकि वायरल एकस वीडियो में साफ सुनाई दे रहा है कि योगेंद्र पहले से ही बोलने व सुनने में सक्षम है. जब कोई इंसान जन्म से मुकबधिर हो जाता है तो फिर बाद में कैसे बोल व सुन सकता है. डॉक्टर रंजन को अपने से वरीय अधिकारी से डांट भी झेलनी पड़ी. इसके बाद डीसी ने तुरंत एक नई कमीटि बैठाई इसमें एम्स के डॉक्टर को रखा गया. जल्द ही दूसरी रिपोर्ट डीसी को सौंपी जाएगी.