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रांची/डेस्क: बैक्टीरियल ब्लाइट रोग के लिए सांभा मंसूरी चावल प्रतिरोधी है. सांभा मंसूरी चावल ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी बहुत कम होता है. इसके साथ ही यह मधुमेह मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है. बता दें कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वह पैमाना है जो कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन या पेय को उस आधार पर रैंक देता है, कि खाने-पीने बाद रक्त में ग्लूकोज कितना बढ़ता है.
मूलतः सांभा मंसूरी धान दक्षिण भारत के राज्यों की उन्नत प्रजाति है. इन राज्यों में किसान इसकी ही खेती करते है. इसकी फसल में लागत कम लगती है और यह फसल कम दिनों में तैयार भी हो जाती है. इसके साथ ही यह चावल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट भी होती है. सांभा मंसूरी प्रजाति की कर्नाटक, तमिलनाडू और तेलंगाना के साथ ही उत्तर प्रदेश, छतीसगढ़ और झारखंड में लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में इसकी खेती की जाती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार डीआरआर धान-58, डीआरआर धान-60 और डीआरआर धान-62 में जैविक और अजैविक तनाव के प्रति प्रतिरोध जैसे गुण होते हैं. इसके साथ ही इनका उत्पादन भी ज्यादा होता है और इनमें उर्वरक की कम मात्रा की आवश्यकता होती है.