न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड के चिकित्सक मेडिकल प्रोटेक्टशन एक्ट को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे हैं. राज्य में बनने वाली सरकार के मुखिया और नुमाइंदों के सामने वे अपनी बातों को रखते रहे हैं. लेकिन अबतक उनकी इन मांगों को एक स्वरूप नहीं मिल पाया है और वे इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं. डॉक्टरों का एसोसिएशन आइएमए (IMA) लगातार इस बात को लेकर विभागीय मंत्री, सचिव और अधिकारियों से मिलकर अपनी बातों को रखने की कोशिश कर रहा है. लेकिन कहीं न कहीं इस मामले में आ रहे पेंच की वजह से यह झारखंड में लागू नहीं हो पा रहा है. इस बीच केन्द्र सरकार की ओर से लागू की गयी नये तीन आपराधिक कानून ने डॉक्टरों की चिंता और बढ़ा दी है. अब मरीज के इलाज में लापरवाही बरते जाने से हुई मौत में डॉक्टर भी इसके दायरे में आ गये है.
मरीज की मौत में लापरवाही मामले में दोषी पाये जाने पर चिकित्सकों पर भी सजा आौर जुर्माना का प्रावधान किया गया है. बीएनएस की धारा 105 के तहत गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी को 5 से 10 दस साल की सजा या जुर्माना का प्रावधान किया गया है. बीएनएस की धारा 106 के तहत लापरवाही से या गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आने वाला कोई भी काम किसी मृत्यु का कारण बनता है तो दोषी को एक अवधि के लिए कारावास की सजा और यह सजा सात साल तक बढ़ सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसको लेकर डॉक्टरों के संगठन की ओर से आवाज उठाये जाने के बाद केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह बात आयी है. केन्द्र सरकार की ओर से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉक्टर के गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आने वाले प्रावधान में संशोधन करने का आश्वासन लोकसभा में दिया है.