झारखंड » जमशेदपुरPosted at: फरवरी 17, 2025 धानघोरी प्राथमिक विद्यालय में कमरों की कमी होने से एक कमरा में तीन कक्षाएं होती है संचालित
स्कुल में मिड डे मील की राशि पर अभी तक 44 हजार रूपया उधारी

गौरब पाल/न्यूज़11 भारत
बाहरागोड़ा /डेस्क: बाहरागोड़ा अंतर्गत मानुषमुड़िया पंचायत के प्राथमिक विद्यालय धानघोरी में कमरा की कमी के कारण एक कमरा में तीन कक्षाएं चलानी पढ़ती हैं. इस स्कूल में कुल 111 बच्चे हैं.दो कमरों में कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. जगह कम होने के कारण एक-एक कमरे में 3-3 कक्षा के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई कराने को शिक्षक विवश हैं. स्कूल के प्रधान शिक्षक शुभंकर गिरी ने बताया कि जगह कम रहने के कारण बच्चों को बैठने में भारी परेशानी होती है, एक-एक बेंच पर 5 से 6 बच्चे बैठते हैं. जिस कारण बच्चों को लिखने-पढ़ने में भी काफी दिक्कत होती है. स्कूल में छात्रों को बैठाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं रहने के कारण शिक्षक भी परेशान रहते हैं. छोटे बच्चों को तो किसी प्रकार एक कमरे में एडजस्ट कर पढ़ाया जा सकता है. लेकिन ऊंचे क्लास के अलग-अलग वर्ग के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाने में काफी कठिनाई होती है. कहा कि इस संबंध में उन्होंने विभाग से पत्राचार किया है और स्कूल में अतिरिक्त कमरों के निर्माण की मांग की है. इसके अलावा स्कूल में चारदीवारी नहीं होने के कारण स्कूल में बागवानी नहीं हो रही है. स्कूल में छुट्टी के दिन गाय बकरी घुसकर पेड़ पौधा को का जा रहे हैं तथा स्कूल परिसर का गंदा कर रहे हैं. स्कूल में एक ही चापाकल है. उसमें मोटर बैठा देने से चापाकल बंद हो गया है. इस परिस्थिति में जब बिजली चल जाता है तब पानी के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बिजली नहीं आने का कारण टंकी में भी पानी खत्म हो जाता हैं तब दूर से पानी लाकर भोजन बनाना पड़ता है.
मिड डे मील की राशि नहीं मिलने के कारण 44 हजार रूपया उधारी
दूसरी और स्कूल में मिड डे मील की राशि सरकार की ओर से नहीं मिलने के कारण अभी तक 44 हजार रूपया उधारी से काम चलानी पड़ रही है. इसके बावजूद भी नियमित रूप से स्कूल के बच्चों को पोषाहार समय पर मिलता है.
मुखिया राम मुर्मू ने कहा की सरकार एक तरफ तो राज्य में मॉडल स्कूल बनाकर सरकारी स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. लेकिन अभी भी कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां कमरों के अभाव में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित ऐसे विद्यालयों पर भी सरकार ध्यान दें ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी बेहतर शिक्षा पा सके.