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रांची/डेस्क: भाजपा विधि प्रकोष्ठ की एक आपात बैठक शनिवार को सिविल कोर्ट बार ऐसोशिएसन में हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश संयोजक सुधीर श्रीवास्तव ने किया. बैठक मे झारखंड राज्य सरकार द्वारा जी वकीलों को ठगने के लिए लॉलीपॉप दिखाया गया है उस पर विस्तार से चर्चा किये. सुधीर श्रीवास्तव ने बताया की वकीलों के लिए कुल राशि राज्य सरकार द्वारा 9 करोड़ का स्वीकृति दे दी गयी, जिसमें 6000 रुपया प्रति अधिवक्ता बतौर अनुदान झारखंड अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति को सरकार देगी. अब सवाल यह उठता है कि झारखंड के कुल वकील 33000 से अधिक हैं और उक्त 9 करोड़ को 6000 प्रति अधिवक्ता के हिसाब से 15000 वकीलों में ही समाप्त हो जायेगा. इसका अर्थ यह हुआ कि आधा वकील राज्य सरकार का लाभ ले पाएंगे और आधा वकील इंतजार करेंगे.
इस घोषणा के अलावा राज्य सरकार ने 65 वर्ष के बाद अपना लाइसेंस सरेंडर करने वालों को 14000 प्रति माह पेंशन देने का घोषणा किया है. 14000 प्रति माह लेने के लिए कितने वकील, 65 वर्ष के बाद अपना लाइसेंस सरेंडर करेंगे यह अपने आप में ही हास्यपद है. सरकार द्वारा यह घोषणा राज्य के वकीलों का वोट लेने के लिए उठाया गया एक कदम है. राज्य के वकील समझ चुके हैं कि सरकार वकीलों को दो फाड़ में बांटकर फुट डालो और शासन करो की नियत से उक्त घोषणा की है. राज्य भर के वकील सरकार के इस घोषणा से न सिर्फ दुखी हैं बल्कि चारो तरफ इसकी भत्सरना हो रही है. राज्य सरकार जो वकीलों का मुख्य मांग है एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट उस पर चुप्पी साधकर अपना नियत स्पष्ट कर चुकी है. कैबिनेट बैठक के बाद अधिवक्ता का एक प्रतिनिधिमंडल प्रोजेक्ट भवन नहीं पहुँचा बल्कि सरकार के वकील पहुँच कर एक दूसरे का पीठ थपथपा रहे थे. आने वाला विधान सभा चुनाव मे राज्य सरकार मे जो पार्टी शामिल है. उनको जबाब देने के लिए राज्य भर के 33000 से ज्यादा वकील पूरी तरीके से तैयार हैं.