प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: झारखंड उच्च न्यायालय ने हजारीबाग जिले के चौपारण थाना क्षेत्र में अपनी गर्भवती पत्नी और एक वर्षीय बेटी की हत्या कर उनके शवों को कुएं में फेंकने के आरोपी और निचली अदालत से फांसी की सजा पाए आनंद कुमार दांगी को बरी कर दिया है.आनंद को जिले के अपर सत्र न्यायधीश की कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में फांसी की सजा सुनाई थी. बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुवेंदु जयपुरियार ने बताया कि हाईकोर्ट ने पाया है कि इस मामले में साक्ष्य का अभाव है. राज्य सरकार ने सिविल कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. वहीं, दोषी आनंद कुमार डांगी ने सिविल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को फैसला सुनाया. यह वारदात हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के देहर नवा गांव में साल 2018 में हुई थी. मृतका अंगिरा कुमारी के पिता प्रीतम दांगी ने चौपारण थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि आनंद ने अपनी गर्भवती पत्नी अंगिरा कुमारी और एक साल की बेटी को पहले धारदार हथियार से काटा और इसके बाद उनके शवों को कुएं में फेंक दिया.
पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में दावा किया गया कि आनंद का किसी दूसरी महिला से अवैध संबंध था. रिपोर्ट के मुताबिक अंगिरा कुमारी की शादी 2014 में आनंद कुमार दांगी से हुई थी. आरोपी सफाईकर्मी का काम करता था. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से बहस करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुवेंदु जयपुरियार ने बताया कि पुलिस ने खून से सना एक धारदार हथियार बरामद किया था. लेकिन वह यह साबित करने में विफल रही कि हत्या करने के लिए इसी हथियार का इस्तेमाल किया गया था. पुलिस ने न तो एएफएसएल रिपोर्ट पेश की और न ही कॉल डिटेल देना जरूरी समझा. न ही यह बता सकी कि घटना के वक्त आरोपी मौके पर मौजूद था. बताया गया कि पुलिस की थ्योरी में कई ऐसी बातें थीं, जिसका फायदा आरोपी को मिला और जिसके चलते कोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया.