प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: करमा पूजा उत्सव एवं गीत- संगीत को लेकर पिछले एक सप्ताह से खुशी और उमंग का माहौल क्षेत्र में बना हुआ हैं. सुबह-शाम करमा गीत से क्षेत्र गूंजायमान हो रहा हैं. आज रे करम गोसाई घारे द्वारे रे, काल रे करम गोसाई कांस नदी पारे, भाई हामर बाढतो राखबो आशीष रे, केकर दियल दियवा केकर दियल बाती जलो रे दियवा आझो के राती, जा हो जा हो करम गोसाय आपन ससुराल हो, आदि करमा गीतों से इस समय वातावरण गूंज उठा हैं. इन करमा गीतों में झारखंड की संस्कृति झलकती हैं.
करमा पर्व भादो माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हर्षोल्लास के साथ गांव-गांव में मनाया जाता हैं. विशेष रूप से झारखंड राज्य में यह मनाया जाता हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार बहनें अपने भाइयों के उज्जवल भविष्य के लिए यह पर्व मनाते हैं. लोग कहते भी है कि अपना कर्म भैया के धर्म अर्थात बहनें अपने कर्म के साथ-साथ भाइयों के धर्म भी करती हैं. भादो माह की चतुर्थी के दिन से ही करमा की नींव गांव में रखी गई हैं. उस दिन बहनें डलिया में बालू मिट्टी रख उसमें पांच प्रकार के अनाज बुनते है तभी से दिन भर में कम से कम तीन बार और ज्यादा से ज्यादा पांच बार उस डलिया को पूजा के स्थान पर रख रूप देती है और उसके चारों ओर घूमते हुए झूमर लगाती है और गाती हैं.
इस प्रकार इन एक सप्ताह में जिधर जाए उधर ही करमा के गीत सुनने को मिले हैं. जिससे वातावरण में मधुर गीतों की गूंज गुंजायमान होते रहता हैं. सबसे बड़ी बात यह कि शादीशुदा बहनें भी इस त्यौहार को मनाने अपने भाई के घर आती है और सभी परिवार मिलकर त्यौहार मनाते हैं. आज शनिवार शाम बहन अपने भाईयों के लिए करमा व्रत करेंगी. रविवार की सुबह जलाशय में करमा डाली विसर्जन के साथ पर्व का समापन होगा. इसे देखने एवं करमा गीत सुनने के लिए आसपास क्षेत्र के लोग काफी संख्या में शामिल होते हैं.