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रांची/डेस्कः शादी के लिए पैसों के लेनदेन से जुड़े एक मामले में रांची सिविल कोर्ट के आदेश को रद्द् करने के लिए दर्ज याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट टिप्पणी की है साथ ही कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट की तरफ से आरोपियों को बेल देते वक्त लगाई जाने वाली शर्ते कठिन, अत्यधिक और अनुचित नहीं होनी चाहिए. बता दें, मामले में सिविल कोर्ट के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपियों को 12 लाख रुपए भुगतान करने के शर्त पर उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी उनके इसी आदेश को रद्द करने के लिए प्राथी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कराई गई थी. जिसपर आज हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में सुनवाई हुई.
मामले में जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में सुनवाई के दौरान प्राथी की अधिवक्ता शिवानी जालुका ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह पूरा मामला शादी के लिए पैसों के लेन-देन से जुड़ा हुआ है. वहीं इस मामले में कोर्ट ने कहा कि नियमित जमानत के मामलों के साथ अग्रिम जमानत के मामलों में भी अग्रिम जमानत देने के मापदंडों पर विचार करते हुए आदेश पारित करने की जरुरत होती है. मगर निचली अदालत (रांची सिविल कोर्ट) की ओर से इस मामले में लगाई गई शर्त, कानून के अनुरूप प्रतीत नहीं होता है. अतएव सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट निचली अदालत से पारित अग्रमि जमानत के आदेशों के उस भाग को रद्द कर दिया. जिसमें कोर्ट ने आरोपियों को पैसे की भुगतान करने की शर्त पर जमानत दे दी थी.