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रांची/डेस्क: अक्सर आपने लोगों को ये कहते हुए जरुर सुना होगा कि आप अगर mentally fit नहीं है तो आप physically तौर पर भी fit नहीं हो सकते है. एक्सपर्ट्स की माने तो हमारी मेंटल और फिजिकल हेल्थ के बीच सीधा संबंध होता है. ये देखा जाता है कि अगर कोई इंसान तनाव की वजह से ज्यादा थका हुआ है तो negative thoughts उसे जल्दी घेरते है और वह जल्दी बीमार होते है.
आयुर्वेदिक चिकित्सकों की माने तो नकारात्मक सोच से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. वहीं अगर सकारात्मक सोचते रहेंगे तो ज्यादा एक्टिव रह सकेंगे. आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
दिल से जुड़ी बीमारियां
एक्सपर्ट्स के अनुसार ज्यादा नकारात्मक सोचने से तनाव और बेचैनी बढ़ने लगती है. इससे शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का बैलेंस बिगड़ जाता है. इस वजह से दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट बीट तेज होने जैसी समस्याएं हो सकती है.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर
आंतों पर भी ज्यादा नकारात्मक विचार की वजह से असर होता है. आंतों में मौजूद गुड बक्टिरिया को नुकसान होता है. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, अल्सर, अपच, दस्त और पेट से जुड़ी दिक्कतों का सामना इससे लोगों को करना पड़ सकता है.
थायराइड और PCOS
ज्यादा नकारात्मक सोचने से depression भी होने लगता है. इस वजह से शरीर में मौजूद कई हार्मोन्स का लेवल बिगड़ सकता है. थायराइड, डायबिटीज और बीमारियों का खतरा ऐसे में बढ़ सकता है.
कमजोर इम्यूनिटी
हमेशा नकारात्मक सोचने की वजह से इम्युनिटी कमजोर हो सकती है. कमजोर इम्युनिटी की वजह से इंफेक्शन या गंभीर बिमारियों का खतरा हो सकता है. इसलिए emotions पर कंट्रोल रखना जरुरी है.
शरीर में दर्द
नकारात्मक सोचने से शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इस वजह से तनाव बढ़ सकता है. जिससे मांसपेशियों में दर्द और अकड़न हो सकती है. आपको पीठ और गर्दन में दर्द रहने की ऐसे में दिक्कत भी हो सकती है.
Disclaimer : यह आलेख एक्सपर्ट्स की राय के आधार पर लिखी गई है. इस संबंध में उचित सलाहकार से सलाह जरुर लें.