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रांची/डेस्क: नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर हत्या के मामले में फांसी सजायाफ्ता राहत शेख को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. झारखंड हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसला को निरस्त किया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा अभियुक्त और पीड़ित मृतिका को एक साथ अंतिम बार देखा जाना दोषसिद्ध के लिए काफी नही है. जघन्य अपराध करने के मामले में राजमहल की पॉक्सो कोर्ट ने मार्च 2015 को दोषी पाते हुए राहत शेख को फांसी की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत के फैसले को सजायाफ्ता राहत शेख ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उधवा प्रखण्ड क्षेत्र के जोंका पंचायत में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या की जघन्य अपराध की घटना को अंजाम देने का आरोप था. राजमहल की पॉक्सो कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अनुसंधानकर्ता समेत 12 गवाहों का परीक्षण कराया था
जिसके आधार पर आरोपी राहत शेख को कोर्ट ने दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. 5 मार्च 2015 को नाबालिग के पिता ने राजमहल थाना में कांड संख्या 81/2015 के तहत पड़ोसी राहत शेख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया था. पुलिस को बताया था उनकी नाबालिग बेटी को पड़ोसी प्रतिदिन घर से बुलाकर कर खेलने के लिए ले जाता था. और घर पहुंचा देता था.
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बता दें कि 4 मार्च 2015 की शाम करीब पांच बजे पड़ोसी उसकी बेटी को ले गया. लेकिन देर शाम तक बेटी वापस नहीं लौटी. खोजबीन के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि बेटी को पड़ोसी राहत शेख कंधे पर बैठा कर तालाब की ओर ले गया था. ग्रामीणों के साथ जब नाबालिग के पिता तालाब पहुंचा तो बेटी मृत अवस्था में मिली थी.