नीरज कुमार साहू/न्यूज11 भारत
गुमला /डेस्क: विवेकानंद शिशु विद्या मंदिर बसिया में बड़े ही धूमधाम से और हर्षोल्लास के साथ रानी दुर्गावती का जन्मोत्सव मनाया गया. कार्यक्रम प्रभारी प्रधानाचार्य गुलाब कुमार की अगुवाई में संपन्न हुई. इस दौरान स्कूल के बच्चों के द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया. स्कूल के बच्चों के द्वारा झांकी, भाषण, एवं कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए. इस प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया. कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन का कार्य आचार्य नवीन मिश्रा के द्वारा किया गया. इस दौरान स्कूल के सभी आचार्य एवं दीदी और स्कूल के सभी छात्र और छात्राएं उपस्थित थी. रानी दुर्गावती का नाम इतिहास का पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया हैं. इन्होंने मातृभूमि और अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया. कालिंजर के राजा कीरत सिंह की पुत्री और गोंड राजा दलपत शाह की पत्नी रानी दुर्गावती का नाम इतिहास के पन्नों में महानतम वीरांगनाओं की अग्रिम पंक्ति में दर्ज किया जाता है. रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर, 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हुआ था. उनका जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन हुआ था, इसलिए उनका नाम दुर्गावती रखा गया.
रानी दुर्गावती का विवाह गोंड राजा संग्राम शाह के बेटे दलपत शाह से हुआ था.
रानी दुर्गावती ने अपने पति की मृत्यु के बाद 1550 से 1564 तक गोंडवाना की रीजेंट के रूप में काम किया.
रानी दुर्गावती ने मुगल साम्राज्य के ख़िलाफ़ गोंडवाना की रक्षा के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं.
रानी दुर्गावती ने 52 युद्धों में से 51 युद्धों में जीत हासिल की थी.
रानी दुर्गावती ने अपने राज्य में कई झीलें बनवाईं और अपने लोगों के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया.
रानी दुर्गावती ने विद्वानों का सम्मान किया और उन्हें अपना संरक्षण दिया.
रानी दुर्गावती ने 24 जून, 1564 को मुगलों से लड़ते हुए वीरगति पाई थी.
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