कृपा शंकर/न्यूज 11 भारत
बोकारो/डेस्क: प्रबंधन के मजदूर विरोधी दमनकारी नीति के खिलाफ सेल बोकारो इस्पात संयंत्र के धमन भट्ठी विभाग के मजदूरों ने क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (HMS) के बैनर तले जोरदार चेतावनी प्रदर्शन किया. चेतावनी प्रदर्शन धमन भट्ठी नं 3 से रैली के रूप में आरंभ हुई. मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय पर विशाल सभा में तब्दील हो गई. चेतावनी प्रदर्शन को संबोधित करते हुए संघ के महामन्त्री सह-सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान सेल एवं बोकारो प्रबंधन पूर्णतया मजदूर विरोधी भावना से ग्रसित है. आज उत्पादन में ठेका मजदूर निर्णायक भुमिका निभा रहें है. स्थाई प्रकृति के सभी कार्यों को ठेका मजदूरों द्वारा कराया जा रहा है. मगर बदले में ठेका मजदूरों को सिर्फ जलालत और नफरत मिलता है. वहीं, झारखंड सरकार का मिनिमम वेज किसी को मिलता है तो किसी को नहीं. ना ग्रेच्युटी, ना ग्रुप इंश्योरेंस, ना किसी प्रकार की छुट्टी और ना हीं नाइट शिफ्ट एलाउंस दिया जाता है.
मेडिकल चेकअप की खामियों से मजदूरों में रोष-
श्री सिंह ने कहा कि इतना शोषण के बावजूद भी इनकी आत्मा तृप्त नहीं हुई. अब ठेका मजदूरों के शोषण की कड़ी में एक कदम आगे बढ़ाते हुए, इन्होंने एक नया काला कानून लाया है, मेडिकल चेकअप का. कहा कि मेडिकल चेकअप पर इनकी मंशा साफ होती तो कोई भी मजदूर काम से बाहर नहीं होता. काम करते हुए मेडिकल चेकअप व्यवस्था करते. चेकअप के नाम पर मामूली-मामूली सी बात पर गेट पास रोकना शोषण नहीं तो क्या है? कहा कि आज पूरे प्लांट के मजदूर मेडिकल जाँच की खामियों के वजह से आक्रोशित है. आज धमन भट्ठी तो कल कोक ओवन एवं कोक केमिकल्स में चेतावनी प्रदर्शन कर ठेका मजदूर मेडिकल जाँच की त्रुटियों के सुधार की मांग करेंगे. इसके बावजूद प्रबंधन कान में तेल डालकर सोती रही, तो 28 सितंबर को पूरे प्लांट के मजदूर अधिशासी निदेशक (संकार्य) कार्यालय पर प्रदर्शन कर हड़ताल नोटिस देने को मजबूर होंगें.
एक तो करेला, वो भी नीम पर चढ़ा-
नियमित मजदूरों की समस्याओं पर बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि सेल और बोकारो प्रबंधन शोषण में बिल्कुल भेदभाव नहीं करती है. सभी मजदूरों का एक समान शोषण करती है. 39 माह के एरियर के मुद्दे पर मुख्य श्रमायुक्त (केन्द्रीय) के स्तर पर हुए समझौते को भी ठंढे बस्ते में फेंक दिया. बोनस पर एकतरफा फैसला इनके मजदूर प्रेम का परिचायक है. आदम जमाने का इन्सेंटिव रिवॉर्ड स्कीम, अब जिसका कोई मतलब नहीं रह गया है, आज भी वही स्कीम लागू है. इसके बाद भी क्षमता से अधिक उत्पादन सीमा तय कर इन्सेंटिव में कटौती की जा रही है. मतलब एक तो करेला वो भी नीम चढ़ा. इस चेतावनी प्रदर्शन को शशिभूषण, मनोज ठाकुर, चन्द्र प्रकाश, संतोष कुमार आदि ने संबोधित किया.