प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने बड़कागांव प्रखंड के इस्को में "रॉक आर्ट" गुफा को उसकी खोज के 34 साल बाद राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया हैं. 15 अक्टूबर को जारी मंत्रालय की अधिसूचना में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस्को गुफाओं और आसपास के क्षेत्रों में रॉक आर्ट संस्कृति के बारे में आगे अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण करने का निर्देश दिया गया हैं. राज्य के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजीव कुमार ने इस स्थल की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हजारीबाग के पूर्व क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक के रूप में, कुमार ने 18 जून, 2019 को रांची सर्कल के एएसआई अधिकारियों के साथ और फिर 13 जुलाई, 2019 को उप-अधीक्षक राम कुमार वर्मा के नेतृत्व में इस स्थल का निरीक्षण किया था.
एएसआई नई दिल्ली मुख्यालय से पुरातत्वविद् विशेषज्ञों ने रॉक पेंटिंग्स को मध्यकालीन ताम्रपाषाण काल का बताया हैं. 1990 के दशक में जेसुइट पुजारी फादर टोनी हर्बर्ट द्वारा मूल रूप से खोजे गए इस स्थल ने तब ध्यान आकर्षित किया जब कुमार ने इसे एएसआई के महानिदेशक के संज्ञान में लाया. इस जगह को असाधारण बनाने वाली बात है इसकी अनोखी रहस्यमय अमूर्त और ज्यामितीय डिजाइन, साथ ही बाइसन, भैंस, हिरण, उभयचर, मेंढक, सरीसृप और कछुओं सहित विभिन्न जानवरों के चित्रण के रहस्यमय ज्यामितीय पैटर्न ने शोधकर्ताओं को हैरान कर दिया हैं. स्थानीय लोककथाओं से पता चलता है कि इन्हें आदिवासी पुजारियों (पहान या शमन) ने नशे में बनाया था और स्थानीय जनजातियों द्वारा इन्हें पवित्र माना जाता है जो इनकी पूजा करना जारी रखे हैं. हालांकि हाल के शोध से संकेत मिलता है कि ऐसी आदिम रॉक कला महिलाओं द्वारा बनाई गई हो सकती हैं. हजारीबाग से लगभग 45 किलोमीटर दूर नापो पंचायत के भीतर स्थित, इस्को गांव में यह प्रागैतिहासिक कलाकृतियां हैं.