न्यूज11 भारत
रांची/डेस्कः- सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल की एक लड़की की सुनवाई याचिका खारिज कर दिया है जिसमें उसने अपने 27 हफ्ते के बच्चे को गिराने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने अविवाहित महिला से कहा कि बच्चे को गर्भ में जीवित रहने का मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने महिला के तरफ से ये दलील दिया था कि बच्चा अभी गर्भ में है, पैदा होने के बाद ही मां का अधिकार बनता है कि वो उसे रखेगी या नहीं.
कोर्ट ने बेंच से पूछा कि गर्भवस्था कि अवधि 7 महीने से ज्यादे हो चुकी है. बच्चे के जन्म के अधिकार का क्या इस सवाल पर महिला के वकील ने कहा था कि भुर्ण अभी गर्भ में है और इसका फिलहाल पूरा अधिकार महिला को है. इसके आगे उसने कहा कि याचिकाकर्ता अभी दर्द में है बाहर आना-जाना भी फिलहाल नहीं कर सकती है. इस दौर में वो समाज का सामना भी नहीं कर सकती. फिलहाल महिला नीट की तैयारी कर रही है.
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि 16 अप्रैल को ही उसके पेट में दर्द उठा था जब अल्ट्रासाउंड करवाया गया तो 27 सप्ताह की गर्भ होने की जानकारी मिली जो कि कानूनी रुप से तय अधिकतम समयसीमा 24 सप्ताह से अधिक थी. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को गिरा नहीं सकते हैं. हां ये अनुमति तभी दी जा सकती है जब मेडिकल बोर्ड द्वारा भुर्ण में आसामान्यता पाई गई हों या फिर महिला के जान बचाने से संबंधित कोई राय बनती हो.