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रांची/डेस्कः इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को बड़ा झटका दिया है. बता दें, मामले में सुनवाई के दौरान एसबीआई ने कोर्ट के समक्ष इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी डिटेल देने लिए 30 जून तक के समय की मांग रखी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दी. मामले में सर्वोच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की संविधान पीठ में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए बैंक को 24 घंटे के भीतर निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश दिए है. इतना ही नहीं कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी 15 मार्च की शाम 5 बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इसे प्रकाशित करने के निर्देश दिए है. मामले में सुनवाई के दौरान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे. इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में एसबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अपनी दलीलें कोर्ट में पेश की.
इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
बता दें, इससे पहले मामले में 15 फरवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था को असंवैधानिक बताया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पार भी रोक लगा थी. इसके अलावे कोर्ट ने एसबीआई को 13 मार्च तक किसने और किस पार्टी को कितना चंदा प्रदान किया है इसकी जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए थे. मगर एसबीआई ने 6 मार्च से पहले ही चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने की अवधि 30 जून तक बढ़ाने की मांग को लेकर याचिका दायर कर दी थी.
जानें मामले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि आप तत्काल कोर्ट के आदेशों का पालन करे. ईसीआई के सामने आप जानकारी खोलें. क्योंकि ये काफी गंभीर मामला है. वहीं इसपर एसबीआई ने कहा कि बॉन्ड नंबर, नाम और बॉन्ड कितने का हैं इसे लेकर दो-तीन हफ्ते में ईसीआई को मुहैया कराया जाएगा. इसके साथ ही किस पार्टी को क्या दिया गया है इसकी जानकारी मुहैया तीन सप्ताह में करा देंगे. एसबीआई के इस बात पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा कि पिछले 26 दिन में एसबीआई ने अबतक क्या किया? यह बातें आपकी अर्जी के लिए नहीं बताई गई है. यह बताना था कि कोर्ट के आदेशों के बाद एसबीआई ने डाटा उपलब्ध कराने के लिए अबतक क्या-क्या किया है? सवालों का जवाब देते हुए एसबीआई की तरफ से साल्वे ने कहा कि तीन माह कम से कम चाहिए. हम कोई गलती नहीं कर सकते है वर्ना हमारे खिलाफ लोग मुकदमा दर्ज करवाएंगे.
उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदे, इसकी जानकारी मुहैया करा दी जाएगी लेकिन बॉन्ड के नंबर के साथ नाम देने के लिए समय चाहिए. इसपर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी समस्या ये है कि हमारे पास पूरी जानकारी है, मगर सभी नाम अलग फिजिकली रखे गए हैं, जबकि बॉन्ड नंबर और किस राजनीतिक दल को बॉन्ड दिया गया, यह अलग है. यह बैंक की परेशानी है. केंद्र सरकार के नियम के मुताबिक, बैंक बॉन्ड खरीददार और नंबर की जानकारी किसी प्राधिकार को नहीं दे सकती है. इसपर CJI ने कहा कि सारी जानकारी मुंबई की सेंट्रल मेन ब्रांच भेजी जाती है तो फिर ईसीआई को देने में परेशानी क्या है? सभी नाम सीलकवर में एसबीआई की मुंबई की मेन ब्रांच में भेजे जाते हैं, ऐसा आपने अपने आवेदन में लिखा है. साल्वे ने कहा कि हमें पूरा प्रोसर रिवर्स करना होगा. ऐसे में इलेक्टोरल बॉन्ड लेने वालों के नाम और नंबर देने के लिए समय चाहिए. यह सीक्रेट था और अब ईसीआई को देना है. एसबीआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पूरी जानकारी देने के लिए बैंक को समय चाहिए.
ADR ने भी एसबीआई के खिलाफ कोर्ट में दायर की याचिका
SBI ने कहा है कि इलेक्टोरल से जुड़े सभी जानकारी मुहैया कराने के लिए उसे समय लगेगा वहीं एसबीआई की इस मांग को चुनौती देते हुए एक NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी कि ADR ने भी बैंक के खिलाफ याचिका दायर कर दी है जिसमें NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बैंक पर अदालत के आदेशों की अवमानना की बातें कही. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि SBI द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के जुड़े संबंधित जानकारी मुहैया कराने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगने पर इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा होता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को जारी करने मामले में 6 मार्च 2024 तक SBI से साल 2019 के 12 अप्रैल से 2024 के 15 फरवरी तक पार्टियों के लिए खरीदे गए 22 हजार 217 चुनावी बॉन्ड की जानकारी मांगी है.