डॉ. निक्की चंदा – नवीनीकरणीय ऊर्जा समाधानों के प्रति समर्पित शोधकर्ता
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: NIT जमशेदपुर द्वारा आयोजित 14वे दीक्षांत समारोह में डॉ. निक्की चंदा, निवासी ग्राम- बेंग्वारी, पोस्ट- केरेडारी, जिला-हज़ारीबाग, (श्री मूलचंद साव, भाजपा नेता की पुत्रवधू हैं), Ph.D. की उपाधि से सम्मानित किया गया. डॉ निक्की चंदा ने नवीनीकरणीय ऊर्जा के जलविद्युत क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं. वैज्ञानिक अनुसंधान और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक अग्रणी शोधकर्ता बना दिया हैं.
डॉ. चंदा ने अपनी पीएचडी थीसिस "Upper Sutlej River Basin में जलविद्युत क्षमता का मूल्यांकन" पर केंद्रित की, जो देश के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती हैं. उनका शोध न केवल जलविद्युत उत्पादन के संभावित क्षेत्रों को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का संवेदनशीलता से उपयोग करके पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सकता हैं. सुप्रसिद्ध हिमालय के क्षेत्र में स्थित ऊपरी सतलज नदी घाटी, जलविद्युत परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. डॉ. निक्की चंदा ने अपने शोध में नदी के प्रवाह दर, भौगोलिक विशेषताओं और पर्यावरणीय प्रभावों का गहराई से विश्लेषण किया, जिससे क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं की संभावनाओं को स्पष्ट रूप से समझा जा सकता हैं. डॉ. निक्की चंदा की शैक्षिक पृष्ठभूमि भी अत्यधिक प्रभावशाली हैं.
उन्होंने अपनी बी.टेक. (सिविल इंजीनियरिंग) की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद M.Tech. (पर्यावरण इंजीनियरिंग) की डिग्री भी IIT (ISM) से हासिल की. इसके बाद उन्होंने अपनी Ph.D. की डिग्री nit जमशेदपुर से प्राप्त की, जिसमें उन्होंने जलविद्युत उत्पादन की संभावनाओं के बारे में गहन शोध किया. उनके शोध का उद्देश्य केवल तकनीकी समाधान प्रदान करना नहीं बल्कि भारतीय ऊर्जा क्षेत्र को एक पर्यावरण-संवेदनशील दिशा में आगे बढ़ाना भी हैं. आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता की समस्याओं से जूझ रही है, डॉ. चंदा का काम हमें यह दर्शाती है कि जलविद्युत और अन्य नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर हम एक सतत और हरित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. डॉ. निक्की चंदा अपने सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, सास-ससुर और सभी गुरुजनों प्रारंभिक से अंतिम शिक्षण संस्थानों के प्रति आभार ब्यक्त करती हैं. डॉ. निक्की चंदा का शोध, उनके तकनीकी ज्ञान और पर्यावरणीय विचारों का एक संगम हैं. वह जलविद्युत क्षमता के मूल्यांकन के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करने के लिए नवीनीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निरंतर काम कर रही हैं. हम उनके भविष्य के कार्यों का बेसब्री से इंतजार करते है, जो न केवल भारतीय ऊर्जा क्षेत्र बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए सक्षम होंगे.