प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हर साल की तरह इस वर्ष भी कटकमसांडी प्रखंड के खुटरा बस्ती में शहीद शेख बहादुर शाह जफर की याद में एक भव्य जलसे का आयोजन किया गया. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी और शांति समिति सदस्य, झारखंड आंदोलनकारी फहिम उद्दिन अहमद उर्फ संजर मलिक उपस्थित रहे. जलसे में उपस्थित लोगों ने शेख बहादुर शाह जफर को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया. संजर मलिक ने शेख बहादुर शाह जफर को खिराज-ए-अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि आज से 9 साल पहले छड़वा मुहर्रम मेले में असामाजिक तत्वों के द्वारा साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की गई थी, जिसके चलते कई लोग घायल हो गए थे.
इस हिंसक घटना में शेख बहादुर शाह जफर ने निर्दोष होकर अपने प्राणों की आहुति दी थी. उन्होंने कहा कि इस भीड़ में सभी लोग अपनी जान बचाकर गांव की ओर चले गए थे, लेकिन उपद्रवियों ने कई मोटरसाइकिल, गाड़ियाँ और ठेले को आग के हवाले कर दिया था. संजर मलिक ने बताया कि उस समय कोई नेता, सामाजिक कार्यकर्ता या मुस्लिम कमिटी के लोग आगे नहीं आए थे.ऐसे में संजर मलिक ने मौके पर पहुंचकर उस समय के एसपी अखिलेश झा, डीआईजी उपेंद्र कुमार, डीएसपी और अन्य अधिकारियों से बात की. वे खुटरा गांव पहुंचे और वहां मौजूद लोगों को विश्वास दिलाया कि जिला प्रशासन उनके साथ है. उन्होंने घायलों को अस्पताल ले जाकर उनका इलाज करवाया और गंभीर रूप से घायल लोगों को रिम्स भेजवाया. देर रात, शेख बहादुर शाह जफर की लाश को लेकर वे गए और स्पेशल मेडिकल बोर्ड बिठवाकर उनका पोस्टमार्टम करवाया. इसके बाद, उनके पार्थिव शरीर को खुटरा में उनके परिजनों को सौंपा गया, जहां खुटरा कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया गया था.
संजर मलिक ने खुटरा के नौजवान कमिटी के लोगों द्वारा शहादत दिवस मनाए जाने की सराहना की. शहीद शेख बहादुर शाह जफर कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता मौलाना इमामुल होदा मिस्बाही और मोहत्मिम मदरस्तुल बनात हजरत उम्मे सल्लमा ने की. नकाबत मौलाना असगर अली रिज़वी, जामा मस्जिद खुटरा ने की. इस जलसे में मुख्य अतिथियों में सादिक हसन (झारखंडी बाबा) जामताड़ा, मुफ्ती मोहम्मद शादाब रज़ा गिरिडीह, शोराकराम, कारी जुबैर रहबर, हाफिज और कारी इरफान रज़ा बलयावी शामिल थे. इस आयोजन को सफल बनाने में मास्टर एहबाब आलम का विशेष योगदान रहा. शहीद शेख बहादुर शाह जफर की याद में आयोजित इस जलसे को नौजवानों की कमिटी ने बखूबी अंजाम दिया.
इस आयोजन में असलम शेख, इसराफील खान, शहबाज़ मलिक, शनी खान, शेर खान, बब्बन खान, फिरोज़ शेख, परवेज़ शेख, गुड्डू, मिसाक खान, फैसल खान, मेहराब आलम, गोलू मलिक, शेख अहमद आदि नौजवानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साथ ही मोहल्ले वासियों और बुजुर्गों ने भी इस जलसे को कामयाब बनाने में सहयोग दिया. यह जलसा रात 3 बजे तक चला, जहां सलाम के बाद फातेहा और समूहिक दुआएं की गईं. सभी ने हाथ उठाकर प्रर्वरदिगार से अमन, शांति, सद्भाव, प्रेम, एकता और भाईचारे की दुआ मांगी. अंत में शिरनी का वितरण किया गया और इसके साथ ही जलसा समाप्त हुआ. इस जलसे ने न केवल शेख बहादुर शाह जफर की शहादत को याद किया बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाया. इस तरह के आयोजनों से समाज में सांप्रदायिक सद्भावना और शांति बनाए रखने में मदद मिलती है.