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रांची/डेस्क: झारखंड के राजधानी रांची के ओरमांझी प्रखंड के चकला स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान सही लोग घूमना पसंद करते है. यहां बच्चो हो या बड़े लोग सभी लोगों को यह भगवान बिरसा जैविक उद्यान काफी पसंद आता है. इस उद्यान में 86 प्रजाति के कुल 1644 जानवर है. इसमें पक्षी, सरीसृप व स्तनधारी मौजूद है. सर्दियों का मौसम आ चुका है. ठंडी के इस मौसम में उद्यान प्रबंधन ने वन्य प्राणियों को ठंड से बचाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए रूम हीटर का प्रबंध किया है. इसके अलावा वन्य प्राणियों को खाने में मल्टीविटामिन, मिनिरल्स और प्रोटीन युक्त भोजन की भी व्यवस्था की है. उद्यान निदेशक जब्बर सिंह ने कहा कि इस उद्यान में रहने वाले सारे जीवों के सुरक्षा और उन्हें ठंड से बचाने के लिए सारी मुमकिन व्यवस्था की गई है. उनके खाने और स्वास्थ्य में कोई कमी नहीं होगी. इस उद्यान में हर दिन लगभग 2000 लोग घूमने आते है. इस बात की जानकारी हमें यहां के फॉरेस्ट गार्ड शशि भूषण ने दी है. लोगों के घूमने का आंकड़ा शनिवार और रविवार के दिन बढ़ जाता है. यहां सर्दियों में बहुत से लोग पिकनिक भी मनाते है.
ठंड से बचने के लिए व्यवस्था
उद्यान के डॉ ओमप्रकाश साहू ने बाया कि यहां प्रजाति के भालू हैं, उनके लिए सेपरेट नर्सरी की व्यवस्था की गई है और और उनका ख्याल रखने के लिए एक पशुपालक को भी तैनात किया गया है. इसके साथ ठंड को लेकर सभी मुमकिन व्यवस्था की गई है. इसके लिए सभी गेट और खिड़कियों में जूट के पर्दे लगाए गए है. इसके अलावा सभी जानवरों के आस-पास तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस बनाया रखा गया है. पक्षियों के लिए पीला बल्ब, जूट बोरा और पुआल की व्यवस्था की गई है. उनके आहार में मल्टी विटामिन और अंडे को भी जोड़ा गया है. यहां तोता, मैना, सफेद मोर, रंगीन मोर, शुतुरमुर्ग, एमू और अन्य प्रजातियों के तीतर के लिए नियमित आहार में बी कंपलेक्स और मल्टी विटामिंस को जोड़ा गया है. जानवरों को ठंड से बचने के लिए बाड़ों में लकड़ी का पटरा बिछाकर उसपर पुआल डाल दिया गया है. सभी कैजों को जूट बैग और आदि से घेर दिया गया है. वहीं मांसाहारी जानवरों को अकेले इंडिविजुअल सेल में रखा गया है. तेंदुआ, भालू, शेर, बाघ के लिए उनके विश्राम स्थान पर रूम हीटर लगाया गया है. इन्हें एक्सट्रीम प्रोटीन डाइट दिया जा रहा है. यहां देसी भालू व हिमालयन भालू के आहार में सेव, दूध, केला, अंडा, शहद व मल्टी विटामिन दिया जा रहा है. शाकाहारी जानवरों को ठंड से बचाव के लिए कुटी चोकर समेत मिनरल मिक्सचर दिया जा रहा है. हाथीयों को लकड़ी के अलाव से गर्मी दी जा रही है. इसके अलावा उनके शरीर की सरसों के तेल से मालिश की जा रही है. उसके खाने में आलू, पका हुआ केला, महुआ, सरसों खली, विटामिंस, कुट्टी, चोकर, मिनिरल्स युक्त भोजन दिया जा रहा है. यहां रेप्टाइल्स के लिए बोरे का पैड बनाया गया है. वहीं मॉनिटर लिजर्ड, मगरमच्छ, घड़ियाल और सभी कोल्ड ब्लडेड जीवों के लिए बाड़ों में नाद के बाहर बालू रखा गया है. इसमें वह सूर्य की रौशनी ले सकते है. यहां सभी जानवर अपने बाड़े से दिन के समय बाहर निकल कर धूप सकते है.
15 फरवरी तक सांप घर बंद
यहां दर्शकों के लिए 15 फरवरी तक सांप घर को बंद रखा गया है. सांपों को ठंड से बचने के लिए उनके केबिन में रूम हीटर सहित गद्दा, पुआल और कंबल लगया गया है. इस उद्यान में कुल 19 तरीके के सांप है. ठंड के कारण 15 नवंबर से 15 फरवरी तक सांप घर को दर्शकों के लिए बंद किया गया है.
इस उद्यान में कौन से जानवर है मौजूद
इस उद्यान में बहुत से जानवर मौजूद है. इनमे कुल 8 तेंदुए है, 2 हाथी, 8 हिप्पो, 3 शेर, 400 चीतल, 100 बंदर, कुल 19 भालू, इनमे 12 हिमालयन भालू है. 2 गिद्ध है, 8 ऑस्ट्रीज है. इस उद्यान में इसके अलावा कई मगरमच्छ, घड़ियाल, काला हिरन, सफ़ेद मोर, पक्षी, भेड़िया मौजूद है.