झारखंडPosted at: अक्तूबर 09, 2024 उत्कृष्ट परंपरा का दूसरा नाम है विष्णुगढ़ महंथ अखाड़ा चौक की दुर्गा पूजा
वंश की रक्षा के लिए शुरू कि गई थी दुर्गा पूजा की परंपरा, पूर्वजों की परंपरा का बखूबी निर्वाह कर रही वर्तमान पीढ़ी
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: विष्णुगढ़ प्रखंड के महंथ अखाड़ा चौक में लगभग डेढ़ सौ साल पहले रामकिशुन दूबे, पिता स्वर्गीय लेदो दूबे के द्वारा दुर्गा मंदिर का निर्माण कर दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी. उसी परंपरा को स्व० राम किशुन दूबे की पीढ़ी के वंशज बखूबी निभाते चले आ रहे हैं. करीब डेढ़ सौ साल पहले विष्णुगढ़ में चेचक महामारी का रूप ले चुका था. बहुत से लोग इस महामारी की चपेट में आकर काल के गाल में समा गए थे. राम किशुन दूबे के बड़े पुत्र महंथ बासुदेव दास भी इस महामारी के चपेट में आ गए थे. इस बीमारी से उनके एक आंख की रौशनी चली गई. गांव की त्रासदी और अपने पुत्र की मरनासन्न स्थिती देखते हुए, उन्होंने मां दुर्गा की आराधना कि और अपने पुत्र के ठीक होने पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें हर साल पूजा करने की मन्नत मांगी.
दुर्गा मां की पूजा आराधना करने से पूरे गांव में चेचक महामारी का प्रकोप जाता रहा और उनके पुत्र भी ठीक हो गये. राम किशुन दूबे ने शीघ्र हीं दुर्गा मां की खपरैल का एक मन्दिर बनवा कर उनकी मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा शुरू की बताते है कि 70 के दशक में खपरैल मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. उनके वंशज के लोग आज भी मां दुर्गा की प्रतिमा बनवा कर पूजा अर्चना कर रहे हैं. दुर्गा मंदिर के पूजा पाठ के आयोजनों में उनके वंशज हीं सारे खर्च उठाते हैं. महंथ घराने की दुर्गा पूजा को सफल बनाने में अखाड़ा चौक के दूकानदारों का महत्वपूर्ण योगदान रहता हैं.