महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत ने महिलाओं को विधवा बनने के रीति-रिवाजों पर लगाया रोक
न्यूज11 भारत
रांची: महाराष्ट्र में ग्राम पंचायत ने एक अनोखा फैसला लिया है. जिसके बाद से पूरे क्षेत्र में महिलाएं खुश है. ग्राम पंचायत के फैसले का स्वागत किया है. कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने फैसला लेते हए प्रस्ताव पारित किया. जिसमें कहा गया है कि अब विधवा की चूड़ियां तोड़ने, उसके मंगलसूत्र, पैर की अंगुली को हटाने और उसके बाद सदियों पुराने परंपरा के तहत उसका सिंदूर को पोंछने जैसे रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने अब राज्य में ग्राम सभाओं को हेरवाड़ गांव के उदाहरण का पालन करने के लिए कहा है. ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा है कि विज्ञान के इस युग में पुरानी और "अप्रचलित प्रथाओं" को जारी नहीं रखना चाहिए.
महाराष्ट्र में 11 मई को एक आधिकारिक बयान जारी किया गया. मुशरिफ के हवाले से जारी बयान में कहा गया है, कोल्हापुर में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करके विधवा होने की रस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब अन्य ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. आज देश बदल चुका है और ऐसे में पुरानी कुरीतियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. देश के अन्य राज्यों को भी हेरवाड़ ग्राम पंचायत की तरह प्रस्ताव पारित करना चाहिए. इसी के साथ सभी ग्राम पंचायतों को अपने पति को खोने वाली महिलाओं की गरिमा को बनाए रखने के लिए पहल करने के लिए भी कहा है.
फैसले से विधवा महिलाओं के जीवन में होगा सुधार
ग्राम पंचायत के प्रस्ताव में विधवाओं को सामाजिक और धार्मिक समारोहों में शामिल होने से रोकने सहित सदियों पुराने रीति-रिवाजों को दूर करने की कोशिश की गई है. सर्कुलर में साफ कहा गया है कि, इस तरह की प्रतिगामी प्रथाएं मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं और संविधान द्वारा महिलाओं को दी गई गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और इस तरह के रीति-रिवाजों को मिटाना समय की जरूरत है.