अर्जुन मुंडा, विद्युत वरण महतो समेत कई जमीनी कार्यकर्ताओं ने सींचा है कोल्हान, JMM से बागी होकर निकले नेताओं ने थामा है भाजपा का दामन
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: कोल्हान में विधानसभा की 14 सीटें हैं. इन सीटों की बात करें तो आज 12 सीटों पर JMM का कब्जा है वहीं 2 सीटें कांग्रेस के खाते में हैं. लेकिन INDI गठबंधन के इस कोल्हान फतह में सबसे अहम योगदान कोल्हान टाइगर चम्पाई सोरेन का माना जाता रहा है. आज चम्पाई दुखी हैं, आहत हैं लेकिन गठबंधन का कोई बड़ा चेहरा उनका कुशल क्षेम पूछता नजर नहीं आ रहा जो यह साफ कर रहा है कि चम्पाई को अब JMM में बागी माना जा रहा है. बागी मानने के पीछे जो बड़ा कारण है वह यह है कि चम्पाई सोरेन ने सीएम रहते हुए जिस तरीके की मानसिक प्रताड़ना झेली उसको शब्दों में बयां कर डाला. लेकिन चम्पाई के बागी होने के बाद सियासी गलियारे में चर्चा तेज हो गयी है कि कोल्हान में जब जब JMM के नेता बागी हुए हैं उन बागियों ने कोल्हान की धरती पर भाजपा का कमल खिला दिया है. अर्जुन मुंडा, विद्युत वरण महतो समेत कई जमीनी कार्यकर्ताओं ने कोल्हान कोल्हान की धरती को अपने पसीने से सींचा है और बदले में क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपने सर आंखों जगह दी है.
2000 शब्दों में जब चम्पाई ने व्यक्त की पीड़ा तब आया सियासी भूचाल..खड़े हुए कई सवाल
अपने सोशल मीडिया पर चम्पाई सोरेन ने 2000 शब्दों में जब अपनी पीड़ा व्यक्त की तो निश्चित तौर पर सियासी भूचाल आ गया. विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार राज्य के सीएम का होता है लेकिन चम्पाई सोरेन के सीएम रहते हुए उनके सारे अधिकार आखिर किसने छीन लिए. किसने बिना चम्पाई सोरेन की अनुमति के विधायक दल की बैठक बुला ली. आखिर किसने तत्कालीन सीएम चम्पाई सोरेन के सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए. केवल सीएम के पद के लिए क्या पार्टी के इतने वरिष्ठ नेता को इस तरह अपमानित किया जाना राजनीति है. जो राजनैतिक पार्टी अपने ही दल के सीनियर नेताओं की कद्र नहीं कर सकता वह पार्टी क्या राज्य की जनता का भला कर पाएगी.
ना पार्टी से दिया इस्तीफा..ना अभी तक नयी पार्टी की कर दी घोषणा..लेकिन भगवा रंग से रंगा चम्पाई का कार्यक्रम
चम्पाई सोरेन ने अभी तक ना तो पार्टी से इस्तीफा दिया है ना ही उन्हें पार्टी ने निलंबित किया ना ही निष्कासित किया गया. लेकिन चम्पाई सोरेन ने कोल्हान की 14 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर कई सवाल जरुर छोड़ दिए हैं. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि राजनीति से सन्यास लेना चाहता था लेकिन अब कार्यकर्ताओं के जोश और साथ के कारण राजनीति छोड़ूंगा नहीं लेकिन झारखंड को जरुर बचा कर रहुंगा. आखिर किससे बचाना चाहते हैं चम्पाई सोरेन झारखंड को ?
एक नजर कोल्हान के इतिहास पर
भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 1995 में खरसावां विधानसभा सीट से झामुमो विधायक के रुप में जीत हासिल की. लेकिन 1999 में उन्होंने JMM छोड़ा और भाजपा में शामिल हुए. तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी से जीत हासिल करने के बाद भाजपा ने उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया. वहीं दूसरा अहम नाम विद्युत वरण महतो का है जिन्होंने 2014 में भाजपा का दामन थाम लिया. 2014 के लोकसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल करते रहे हैं. इस बार वह तीसरी बार भाजपा से सांसद हैं. एक समय में झामुमो के कद्दावर नेता रहे कृष्णा मार्डी ने भी पार्टी छोड़ दी थी. पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो भी अलग हुए और उनकी पत्नी आभा महतो भाजपा से सांसद बनीं.