बैंक गारंटी से कई गुणा ज्यादा है प्लेसमेंट एजेंसियों का बकाया, कैसी वसूल करेगी सरकार
न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: जल्द ही झारखंड सरकार के शराब कारोबार में बड़ा बदलाव देखने को मिलने की उम्मीद है. वजह यह बताया जा रहा है कि शराब बेचने के लिए तय की कंपनियों ने विभाग के साथ बेईमानी की है. जितने कीमत की शराब प्लेसमेंट एजेंसियों को बेचने के लिए मिला, उतनी राशि विभाग को नहीं मिल पायी. यह बात जबतक एक्साइज विभाग को पता चला तबतक काफी देर हो चुकी थी. अब विभाग चाह रहा है कि कंपनियों की बैंक गारंटी से वो अपना बकाया वसूले.
लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. क्योंकि कंपनियों की जितनी बैंक गारंटी सरकार या विभाग के पास जमा है, उससे कई ज्यादा बकाया एजेंसियों ने दबा रखा है. अब विभाग ने तीन दिनों का समय एजेंसियों को दिया है. तीन दिनों के अंदर अगर एजेंसी बकाया राशि नहीं देती है तो विभाग सभी एजेंसियों की बैंक गारंटी जब्त कर लेगा. हालांकि इस मामले को लेकर कई एजेंसियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ऐसे में कई कंपनियों को कोर्ट की तरफ से राहत भी मिली है. अब देखना होगा कि सरकार या विभाग कैसे एजेंसी से अपना बकाया राशि वसूलेगी.
जानें किस कंपनी के पास कितना है बकाया और कितनी है बैंक गारंटी
विभाग के आंकड़ों की बात करें तो वो चौंकाने वाले हैं. जिस बैंक गारंटी को जब्त करने का धौंस विभाग प्लेसमेंट एजेंसियों को दिखा रहा है, उससे ज्यादा एजेंसी के पास बकाए की राशि है. मसलन वेबेल टेक्नॉलिजी कंपनी की बात करें तो विभाग का उसके पास बकाया 15,24,02,985 है तो बैंक गारंटी महज 5,49,00521 रुपए ही है. मतलब अगर विभाग इस कंपनी की बैंक गारंटी जब्त भी कर ले तो वसूली के लिए बकाया 9,75,02,464 रह जाएगा. वैसे ही विजन कंपनी की बात की जाएतो बकाया 13,15,56,892 तो बैंक गारंटी 7,40,40,961 रुपए है. यानी विभाग को बैंक गारंटी जब्त करने के बाद भी करीब छह करोड़ रुपए कंपनी से वसूलने होंगे. मारसन कंपनी की बात करें तो बकाया 7,57,08,874 तो बैंक गारंटी सिर्फ 05,02,07,576 यानी वसूली के लिए बकाए की राशि करीब 2.5 करोड़ से ज्यादा है. केएस मल्टीफैसीलिटी कंपनी का बकाया 9,28,42,051 तो बैंक गारंटी सिर्फ 8,61,03,043 रुपए है. यानी वसूली के लिए और करीब 70 लाख रुपए बचेंगे. आरके एंड कंपनी की बात करें तो बकाया 11,13,21,563 रुपए है और बैंक गारंटी 10,65,93,323 रुपए है. यानी वसूली के लिए बकाया करीब 50 लाख रुपए है. सिर्फ फ्रंटलाइन और जेएमडी कंपनी ही है जिसका बैंक गारंटी बकाए की राशि से ज्यादा है.
आखिर किस गहरी नींद में सो रही था विभाग
सालों बाद जब सरकार और विभाग को करोड़ों का नुसकान हो चुका है, तो विभाग की नींद अब खुली है. नींद खुलने में इतनी देरी हो गयी कि अब घाटा सहने के अलावा विभाग के पास कोई विकल्प नहीं दिख रहा है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या शराब नीति में बदलाव मात्र करने से ही विभाग के सारे पाप धुल जाएंगे. आखिर क्यों नहीं शुरुआत से ही विभाग ने अपना अकाउंट दुरुस्त रखा. अब नए मंत्री के पास कौन सा जादुई पैतरा है जिससे वो सभी घाटों को पाट पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी.