संतोष कुमार/न्यूज़11 भारत
चांडिल/डेस्क: चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के कुकड़ु प्रखण्ड अंतर्गत हाईतीरूल गांव के आदिवासी समुदाय के द्वारा सोहराई परब मनाया गया. जिसमे आदिवासी महिलाओं तथा पुरुष के द्वारा दो रात्रि तक संथाली भाषा के संगीत एवं नागड़ा, मादौर के थाप पर खूब आदिवासी पांता नाच का आनन्द उठाए. परम्परा के अनुसार आदिवासी समुदाय द्वारा पशु धनों का पुजा पाठ किया गया. वहीं बैल खुंटान भी किया गया. आदिवासी समुदाय द्वारा सोहराई पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और महिला पुरुष मिलकर सोहराई नृत्य करते हैं. खेती के बाद अपने पशुधनों को खुश करने के लिए सोहराई पर्व मनाया जाता है. खेत में लहलहाती पके धानों को खलीहान में लाने से पहले यह पर्व में खुशी का इजहार किया जाता है. प्रकृति वादी आदिवासी समुदाय इसे सामुहिक रूप से मनाते हैं एवं ग्राम देवता, सिंगबोंगा आदि देवताओं का पुजा अर्चना भी करते हैं.
वहीं नवकिशोर हांसदा बीस सूत्री उपाध्यक्ष कुकड़ु प्रखण्ड ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रति वर्ष हमारे गांव के आदिवासी समुदाय के द्वारा काली पूजा के बाद कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोहराई परब मनाते है, जिसमे हमारे समुदाय के सभी महिला पुरुष आपसी भेद भाव को भूलकर एकसाथ पांता नाच प्रस्तुत करते है. जो हमारी झारखंडी आदिवासी संस्कृतिक पहचान का एक रूप है. हमारे द्वारा अपने पूर्वजों का धरोहर को एक तरफ से भूला जा रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि आज हमारे पूर्वजों द्वारा चलाए गए इस तरह के विभिन्न झारखंडी पहचान को युवा पीढ़ी भूलने का काम कर रही है जो हमारे बीच चिंता का विषय है. इसीलिए इस तरह का पूर्वजों द्वारा चलाए गए विभिन्न रीति श्रृति को हमारे बीच अवश्य मनाना चाहिए जिससे हमारी पहचान हमेशा बनी रहे.