प्रशांत शर्मा/न्यूज11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: कार्तिक मास हिंदू समाज के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी महीने आस्था का महापर्व छठ बहुत ही शुद्धता के साथ किया जाता है. जहां हिंदू समाज का हर एक तबका आगे बढ़कर पर्व में हिस्सा लेता है और कोशिश करता है कि वह कुछ ऐसा करें जिससे छठ करने वाले को आराम मिले. इसके लिए सड़क की सफाई होती है और तालाबों को भी सफाई किया जाता है.हजारीबाग की झील के साथ तालाबों की दुर्दशा हुई पड़ी है. हजारीबाग वासी में छठ व्रती अर्घ कैसे देंगे ये लाख टके की सवाल है. दरअसल हजारीबाग में चार प्रमुख जल स्रोत हैं जहां अर्घ पड़ता है. पहला झील, दूसरा छठ तालाब, तीसरा मीठा तालाब और चौथा खजांची तालाब. इन चारों तालाब की स्थिति बहुत ही खराब है. झील में जलकुंभी इस तरह फैला हुआ है कि वहां अर्घ देने के लिए महिलाएं उतर नहीं सकती. छठ तालाब में पानी ही नहीं है और गंदगी का अंबार है. मीठा तालाब जहां पर गंदगी है. खजांची तालाब की भी स्थिति खराब है.ऊपर से चुनाव की घोषणा हो गयी. अधिकारी- कर्मी चुनाव की तैयारियों में जुट जायेंगे. ऐसे में सफाई कैसे होगी ये चिंता लोगों को खायी जा रही है. प्रशासन के रवैये को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें तालाबों की साफ-सफाई खुद ही करनी पड़ेगी.
जलकुम्भी की चादर से पटी पड़ी है झील
हज़ारीबाग़ झील में जलकुंभी दिनों दिन बढ़ती जा रही है. इसे हटाने के लिए नगर निगम से कई बार गुहार लगायी गयी. लेकिन निगम के अधिकारियों के कानो पर जू तक नहीं रेंग रही है. झील के सौंदर्यीकरण व सफाई के नाम पर करोडो रुपये का खेल हो गया. कितने ठेकेदार अधिकारी मालामाल हो गए लेकिन झील की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुवा. झील के किनारों पर दूर-दूर तक यह जलकुंभी की परत देखी जा सकती है. झील में फैली जलकुंभी पक्षियों के लिए अभिशाप बन गई है. झील में पक्षियों का कलरव बंद हो गया है, उनके बैठने के लिए किनारे पर पर्याप्त जगह नहीं हैं. इन पक्षियों में ज्यादातर फिश फीडर है, यानी मछली खाने वाले हैं. जलकुंभी से मछलियां ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रही हैं. ये मछलियां जलकुंभी के नीचे है, इसलिए पक्षियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा हैं. जलकुंभी से पानी की ऑक्सीजन लेवल कम होने का असर मछलियों के सेहत पर पड़ रहा है.
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