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रांची/डेस्क: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा दिया था. इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस ने इस नारे की काट ढूंढी. इसे संविधान बदलने के खतरे से जोड़कर पूरे देश में प्रचार-प्रसार किया. कांग्रेस ने संविधान की हिफाजत की बात की और इस मुद्दे को अपना चुनावी मुद्दा बना लिया. गांव-गांव तक इस बात का प्रचार किया गया. खासकर अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के मन में इस दौरान कई बातें एक साथ घर कर गईं. नागरिकता संशोधन कानून समेत कई मुद्दों को भी इससे जोड़ कर देखा जाने लगा.
जनमानस पर प्रभाव
माना जा रहा है विपक्ष के इस प्रचार का जबर्दस्त प्रभाव पड़ा. संभवतः प्रधानमंत्री और अन्य बीजेपी के वरीय नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और न ही इसका कोई काट खोजा गया. नतीजा ये हुआ कि चुनाव में बीजेपी को 63 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. विपक्ष ने एक कदम और बढ़ाया. सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान इंडिया गठबंधन के अधिकतर सांसदों ने संविधान की छोटी प्रति हाथ में लेकर शपथ ली. इस दौरान उन्होंने जय संविधान का नारा दिया. ये एक तरह का साफ इशारा था कि ये मुद्दा और आगे बढ़ेगा.
आने वाले दिनों में प्रभाव
लोकसभा चुनाव संपन्न हो गये. अब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू कश्मीर, दिल्ली और बिहार के साथ झारखंड में भी विधानसभा का चुनाव होना है. यदि लोकसभा चुनाव की तरह इसमें भी संविधान बचाओ का मुद्दो चला तो बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है. अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़ों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है और कोई बड़ी बात नहीं कि वे इंडिया गठबंधन की तरफ रुख कर लें.
सरकार का रूख
चुनाव बीत गये तो बीजेपी ने संविधान बचाओ का जवाब तलाशा. बीजेपी ने आपातकाल का मुद्दा उठाया और 19 महीने की यातनाओं की याद दिलाई. ये संविधान बचाओ नारे का जवाब था. मतलब ये कि संविधान अब नहीं, बल्कि तब खतरे में था, जब पूरा देश आपातकाल की यातना को झेल रहा था. उन दिनों को लेकतंत्र की हत्या का दिन बताया गया. बीजेपी के इस मुद्दे का असर विपक्ष के कुछ नेताओं पर भी दिखा. इस दौरान इंडी गठबंधन के वैसे नेता भी असमंजस में दिखे जिन्हें आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया था.
बीजेपी का रूख
बीजेपी आपातकाल का मुद्दा बड़े स्तर पर उठाएगी. इसे लेकर बीजेपी जनता तक जाना चाहती है. बीजेपी इसे देश के हर कोने में ले जाना चाहती है ताकि लोग संविधान बचाओ की असलियत को समझ सकें. से भी बताया जाएगा कि आपातकाल कांग्रेस की देन थी. इस दौरान आम लोगों ने असीम कष्ट झेले. बीजेपी ये बताने की कोशिश करेगी कि संविधान बदलने का भ्रम कांग्रेस ने फैलाया है, जिसने स्वयं संविधान के साथ खिलवाड़ किया है. अल्पसंख्यकों के साथ दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अति पिछड़ों को भी साधने की कोशिश होगी. इसके लिए हर जिले और चुनाव क्षेत्र में जन सभाएं आयोजित करने का मन बनाया जा रहा है. हर जनसभा में ये बताया जाएगा कि कि कैसे कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर संविधान का गला घोंटा था.