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रांची/डेस्कः- कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर देशवासियों में एक डर बैठ गया है. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्रजेनेका के द्वारा लंदन के अदालत में साइड इफेक्ट्स को लेकर स्वीकृति मिलने के बाद लोगों के मन में भी कई तरह के उल्टा-सीधा सवाल पनपने लगे है. इसी दौरान देश के जाने-माने हर्दय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि केविड-19 से बचने के लिए जिसने भी कोविशील्ड की वैक्सीन ली हो उसे घबराने की जरुरत नहीं है. इस वैक्सीन से लोगों की जानें बची हैं.
देश के पुर्व के तीन राष्ट्रपति के निजी डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना काल के आपात समय में अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए सबसे कम समय में बनने वाली वैक्सीन में से एक केविशील्ड वैक्सीन से किसी प्रकार के दुष्प्रभाव की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है, कोविशील्ड भारत में बनने वाली सबसे पहली वैक्सीन है इसे पूणे शहर के सीरम इंस्टीट्यूट में बनाया गया है. इसका फार्मूला ब्रिटिश फार्मा कंपंनी एस्ट्राजेनेका से ली गई है. इस कंपनी ने ब्रिटेन की अदालत में माना कि वैक्सीन से दुर्लभ मामलों में थ्राम्बोटिक थ्राम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस जैसी साइडइफेक्ट्स होने की संभावना है.
डॉ वली जो भारत के पुर्व के तीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा और प्रणव मुखर्जी के निजी चिकित्सक रहें हैं. भारतीय राष्ट्रपति के निजी डॉक्टर के रुप में डॉ वली सबसे कम उम्र के चिकित्सक हैं. भारत के तीन राष्ट्रपति की सेवा करने वाले वली एकमात्र शख्स हैं जिन्हें भारतीय चिकित्सा में योगदान देने के लिए 2007 में पद्म श्री से भी नवाजा जा चुका है.