एनजीटी ने पाकुड़ में स्टोन माइंस के अवैध खनन मामले पर जिला प्रशासन को दिया था कार्रवाई का आदेश
दीपक/न्यूज11 भारत
रांची: पाकुड़ में हो रहे अवैध खनन मामले में ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर जिला प्रशासन गंभीरता के कार्रवाई नहीं कर रहा है. एनजीटी ने सुरेश कुमार अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए 21 जनवरी 2022 को आदेश दिया था कि अवैध खनन मामले पर जिला प्रशासन बासमाता, खापादाजोला, राजबंध और पिपलजोड़ी पर कार्रवाई कर प्रतिवेदन समर्पित करे. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिंच लाल तिवारी बनाम कमला देवी (2001) के मामले में यह आदेश दिया था कि प्राकृतिक संसाधन खास कर वन, तालाब, पहाड़, पत्थर और प्राकृतिक ब्यूटी को बरकरार रखा जाये. पारिस्थिकीय संतुलन भी खनन के बाद बनाये रखना जरूरी है. माइनिंग क्षेत्र के लोगों का जीवन बेहतर रहे और पारिस्थकीय संतुलन बनाते हुए कार्य करने पर बल दिया गया था. राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह सभी नैसर्गिक प्राकृतिक संसाधनों को बरकरार रखने की जरुरत है. निजी क्षेत्रों अथवा मालिकों को सरकार की तरफ से नैसर्गिक खनिज पट्टों को नहीं दिया जाये. राज्य सरकार सभी तरह के प्राकृतिक संसाधनों का न्यासी है. यह सरकार की जिम्मेवारी है कि वह नदियों, नाले, जल स्त्रोतों का बचाव करे.
पाकुड़ के एमएसडी कंपनी पर अवैध खनन की हुई थी शिकायत
एनजीटी को शिकायत की गयी थी कि खनन कार्य में लगे एमएसडी कंपनी ने न सिर्फ प्राकृतिक संपदा का दोहन किया, बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान हुआ है. एनजीटी ने पाकुड़ जिला प्रशासन से मामले की तहकीकात करते हुए न्याय संगत कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इस मामले पर 16 फरवरी को जिला प्रशासन की तरफ से खदानों की नापी तो की गयी, पर मामले को रफा-दफा करने के लिए माइंस संचालक और अन्य लगे हुए हैं. नापी की रिपोर्ट भी जिला प्रशासन की टीम ने प्रस्तुत नहीं की है. शिकायत वाद में कहा गया था कि एमएसडी कंपनी ने अपने खनन क्षेत्र को छोड़ अत्यधिक खनन कर राजस्व का नुकसान पहुंचाया है और पर्यावरण को क्षति भी पहुंचायी है. कानू पुर मौजा के खनन पट्टा धारी मैसर्स श्री श्री हीरालाल भगत के द्वारा मामला रफा-दफा करने हेतु काफी पैरवी पैगाम का दौरा किया जा रहा है लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतिम क्षण तक लड़ाई जारी रहेगी जिस पदाधिकारी द्वारा इस मामले में रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है.
एनजीटी को बताया गया था कि पाकुड़ में हैं 246 खदान और 255 क्रशर यूनिट
एनजीटी को बताया गया था कि पाकुड़ जिले में स्टोन के 246 खदान और 255 क्रशर यूनिट हैं. इन खदानों से खनन के लिए 15 जनवरी 2016 को वन और पर्यावरण मंत्रालय ने खनन की अनुमति दिये जाने की बातें कही गयी थीं. पाकुड़ के पत्थर के खदानों में एक लाख लोगों के काम करने का हवाला भी दिया गया था. जिले की आबादी नौ लाख से कुछ अधिक बतायी गयी थी. यह भी बताया गया था कि स्टोन माइंस के संचालक सरकार को सलाना 55 करोड़ का राजस्व का भुगतान करते हैं. पाकुड़ में पाये जानेवाला स्टोन चिप्स की गुणवत्ता काफी अच्छी बतायी गयी थी, जिसे भवन निर्माण के लिए बेहतर माना जाता है. सरकार का दावा है कि पाकुड़ के खनिज संसाधन राज्य के औद्योगिक विकास समेत आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं. एनजीटी ने जिला प्रशासन को एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा था, जिसमें खनिज संसाधनों का ब्योरा देने को कहा गया था. लघु खनिज के संभावित पट्टों की खोज के लिए सर्वे करने की बातें भी इसमें शामिल हैं.