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रांची/डेस्क: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार रात 11.30 बजे अंतिम सांस ली. वह पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. भले ही आज हमारे बीच में वे अब नहीं रहे. लेकिन ऑटो सेक्टर में रतन टाटा के योगदानों कभी नहीं भुलाया जा सकता है.
देश को वाहन बाजार में इस मुकाम तक पहुंचने में कई बड़े सकल्पों और दृढ़ता का हाथ रहा हैं. जिसमें रतन टाटा ही वो पहले शख्स थे जिसने भारत में पहली मेड इन इंडिया कार लॉन्च की थी. नब्बे के दशक के आखिर में देश की पहली डीजल कार के तौर टाटा मोटर्स ने अपनी किफायती हैचबैक कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया था.
टाटा मोटर्स की पहली 'इंडिजिनियस' कार के लॉन्च की कहानी
इस पोस्ट में 1998 के ऑटो एक्सपो में हुई उस ऐतिहासिक घटना का विस्तृत वर्णन किया जा सकता है, जिसमें टाटा मोटर्स ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में एक नई दिशा दी. इसके साथ ही, रतन टाटा की दूरदर्शिता और उनके दृष्टिकोण को भी उजागर किया जा सकता है, जिसने न केवल भारतीय बाजार को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल कायम की.
जब यह कार बाजार में उतरी तो इसके चारों ओर चर्चा का माहौल बन गया. इस कार ने मारुति 800 और मारुति जेन जैसी कारों को कड़ी टक्कर दी. इसके साथ ही डीजल वेरिएंट के आगमन से ग्राहकों में खुशी की लहर दौड़ गई, क्योंकि उस समय डीजल ईंधन की कीमतें काफी कम थीं.
यह कार किसी भी भारतीय कंपनी की ओर से डिजाइन की गई अब तक की सबसे मॉडर्न कार थी. जिस कार को भारत में पूरी तरह से बनाया गया था. जिस समय उस कार की कीमत लगभग 2.6 लाख रूपए पेश की गई थी. वहीं, इस कार के लॉन्च होते ही, इसने भारतीय बाजार में हलचल मच गई थी. यह कार किसी भी भारतीय कंपनी द्वारा डिजाइन की गई अब तक की सबसे आधुनिक कार मानी जाती थी.
कार के लॉन्च होते ही 1 सप्ताह में कंपनी को मिले थे इतने ऑर्डर
बताते चले कि इस कार के लॉन्च के एक सप्ताह के भीतर ही कंपनी को 1 लाख 15 हजार यूनिट्स के ऑर्डर मिले थे. जिससे टाटा इंडिका अपने सेगमेंट में शीर्ष स्थान पर आ गई थी. उस वक्त, टाटा इंडिका का माइलेज की बात करें तो लगभग 20 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलज देता था.