अभिषेक सिन्हा/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड के परीक्षा माफिया मस्त हैं, जबकि स्टूडेंटस पस्त हो गए हैं. कमोबेश हर परीक्षा में धांधली, पेपर लीक और अनिमितताओं का मामला सामने आ रहा है. बात JSSC-CGL के गुनहगारों की करें तो अभी तक पेपर लीक का मास्टर माइंड SIT की गिरफ्त से बाहर है. हालांकि इस मामले में दर्जन भर से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. साथ ही यह भी साफ हो चुका है कि परीक्षा माफियाओं के द्वारा पेपर लीक किया गया था. लेकिन उसके बावजूद किंगपीन का गिरफ्त से बाहर होना सिस्टम को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है. SIT ने तमाम गिरफ्तारियों के बावजूद प्रेस कांफ्रेस कर मास्टर माइंड के नाम का खुलासा नहीं किया है. 6 माह बाद भी SIT की जांच ठंडे बस्ते में बंद होती दिखाई दे रही है. कई स्टूडेंटस का भविष्य अधर में लटका हुआ है और इस बात पर सवाल उठने लगे हैं कि अब न जाने कब JSSC की परीक्षा का आयोजन किया जाए.
28 जनवरी को हुई परीक्षा का प्रश्न पत्र हुआ था लीक
झारखंड में काफी वर्षों के बाद 28 जनवरी 2024 को जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा हुई थी. इसका पेपर लीक होने की जानकारी के बाद छात्र छात्राओं ने हंगामा कर दिया. जिसके बाद परीक्षा को रद्द करना पड़ा. साथ ही 4 फरवरी 2024 को आयोजित होने वाली जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया. मामले में विधानसभाकर्मी समेत उसके दो बेटों को भी गिरफ्तार किया गया. लेकिन जांच की आंच जेएसएससी अध्यक्ष तक कभी नहीं पहुंची.
JSSC के पूर्व अध्यक्ष एक्स आईपीएस नीरज सिन्हा दे चुके हैं इस्तीफा
JSSC के पूर्व अध्यक्ष एक्स आईपीएस नीरज सिन्हा इस्तीफा दे चुके हैं. इस मामले में प्रश्नपत्र प्रकाशित करने वाली कंपनी पर कई सवाल उठे. कंपनी को ब्लैकलिस्टेड बताया गया साथ ही कंपनी के साथ JSSC के कई पदाधिकारियों के सांठ गांठ के आरोप भी लगे.
छात्र संगठनों ने खोला था महाघोटाले के खिलाफ मोर्चा
जेएसएससी की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी सड़क पर उतर कर कई दिन प्रदर्शन करते रहे. इस दौरान स्टूडेंट्स ने राजभवन के सामने जेएसएससी के दशकर्म किया और सर के बाल तक मुंडवा डाले. राजधानी रांची के नामकुम स्थित झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) मुख्यालय के सामने भी 31 जनवरी को जोरदार प्रदर्शन हुआ. हजारों छात्रों ने जेएसएससी कार्यालय का घेराव किया और चेयरमैन की कार में तोड़फोड़ कर दी. इस मामले में 15 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया और 4 हजार से अधिक अज्ञात अभ्यर्थियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया.
27 लाख में प्रश्नपत्र लीक का खेल
इस मामले में छात्र संगठनों में अभ्यर्थियों पर दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने और प्रश्न पत्र लीक मामले की सीबीआई जांच कराने की सरकार से मांग की गयी लेकिन जांच अभी तक सरकार द्वारा गठित SIT कर रही है. छात्र संगठनों का दावा है कि एक-एक प्रश्न पत्र 27-27 लाख रुपए में बिके हैं इसलिए मामले की सीबीआई जांच जरुरी है.