न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा कि मुंबई पुलिस ने 13 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास साहिबगंज (झारखंड) के बने फर्जी आधार कार्ड बरामद हुए हैं. इन सभी के आधार कार्ड में 1 जनवरी की जन्मतिथि दर्ज है. पिछले हफ्ते, चाकुलिया में एक समुदाय विशेष के तीन हजार फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनने की खबर मिली थी. इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि मुर्शिदाबाद की तर्ज पर अवैध घुसपैठियों को झारखंड में फर्जी डॉक्यूमेंट बना कर दिए जा रहे हैं. हम ने पहले भी कहा था कि बंगाल के बाद झारखंड इन अवैध घुसपैठियों का गढ़ बन चुका है. पाकुड़ एवं साहिबगंज जैसे इलाकों में आदिवासी समाज अल्पसंख्यक बन चुका है. लेकिन सत्ता के मद में चूर इस अंधी-बहरी सरकार को कुछ भी दिखाई अथवा सुनाई नहीं देता.
चंपाई सोरेन ने आगे कहा कि झारखंड में जब कभी भी हम लोग घुसपैठ का मुद्दा उठाते हैं तो सत्ता पक्ष केंद्र सरकार पर सारी जिम्मेदारी डालने लगता है. ये घुसपैठिये पिछले कई दशकों से लगातार आ रहे हैं, और कई जगह खुला बॉर्डर होने तथा बंगाल सरकार द्वारा बाड़ लगाने हेतु जमीन नहीं देने की वजह से इन्हें रोकना आसान नहीं है. वैसे भी, जब आपके घर में कोई बाहरी आता है, तो उसे रोकने/ जाँचने की पहली जिम्मेदारी आपकी बनती है. जब दिल्ली, महाराष्ट्र अथवा अन्य राज्यों में कोई घुसपैठिया पकड़ा जाता है तो उस पर कानूनी कार्यवाई होती है. लेकिन झारखंड में सरकारी दामाद की तरह उनका स्वागत होता है, स्थानीय प्रशासन उन पर हाथ डालने से डरता है. सरकारी अधिकारी उनके समर्थन में फर्जी एफिडेविट फाइल करते हैं, और इन सब के बावजूद जब हाई कोर्ट मामले की जाँच के लिए कमिटी बनाने का आदेश देता है, तो राज्य सरकार उस आदेश को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट चली जाती है.
सवाल यह है कि यह तथाकथित अबुआ सरकार इन घुसपैठियों को संरक्षण क्यों दे रही है? क्या आदिवासियों एवं मूलवासियों को दरकिनार कर इन्हीं घुसपैठियों को बचाने/ बसाने के लिए अलग झारखंड राज्य बना था? क्या कोई सत्ता एवं वोट बैंक के लिए इस हद तक गिर सकता है कि अपने ही लोगों को नकार कर, इन देश-विरोधी विदेशी घुसपैठियों को संरक्षण दे?