राजदेव/न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: झारखंड सालों से अपने नाशपाती, शरीफा और पपीते की खेती के लिए जाना जाता रहा है. लेकिन पिछले एक दशक से झारखंड में इन फलों के साथ अन्य कई फलों की खेती भी शुरू हुई है. अब यहां से अमरूद और आम की बड़े पैमाने पर खेती शुरू हो गई है. इलाहाबादी अमरूद के साथ यहां बड़े आकार के हाई ब्रिड अमरूद की खेती हो रही है. इसके साथ बेर की खेती भी राज्य में होने लगी है.
आम उत्पादन में बढ़ते कदम
यदि हम आम की खेती की बात करें तो यहां मालदा आम की खेती बहुत पहले ही शुरू हो गई थी. हालांकि उसका उत्पादन थोड़ा कम था. लेकिन अब राज्य में मालदा के साथ बड़े पैमाने पर आम्रपाली, मल्लिका, हिमसागर और दशहरी के साथ हापुस आम की खेती भी होनी शुरू हो गई है. हापुस आम भारत के सबसे स्वादिस्ट और महंगे आमों में से एक माना जाता है. लेकिन हजारीबाग जिले में बड़े पैमाने पर किसान इस फल की खेती कर रहे हैं.
शरीफा से मालामाल हुए किसान
शरीफा को स्वादिस्ट, पौष्टिक और सस्ते फल के रूप में जाना जाता है. लगभग दो दशक पहले इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू हुई. सिमडेगा जिले के सुदूरवर्ती गांवों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. यहां से बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों में शरीफा की खेप भी भेजी जाती है.
अमरूद के कई प्रकार
पूरे झारखंड के लगभग हर ग्रामीण के घर में पहले अमरूद के पेड़ हुआ करते थे. आज भी स्थानीय किस्म के अमरूद गांवों में खूब मिलते हैं. लेकिन पिछले दशक से इस फसल का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया. अब झारखंड में इलाहाबादी अमरूद के साथ सफेदा और हाइब्रिड किस्में भी मिल जाती हैं जिनकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है.
बेर पड़ रहा भारी
आज से 15-20 साले पहले बड़े बेर के फल मुंबई जैसे शहरों से ही झारखंड में आते थे. लेकिन अब हाइब्रिड बेरों की खेती झारखंड में भी शुरू हो गई है. कुछ युवकों ने मुंबई में जाकर इसकी खेती का प्रशिक्षण लिया और ‘एपल बेर’ की खेती अपने खेतों में शुरू की. आज झारखंड के खेतों में बेर भी उपजाये जाने लगे हैं.
नाशपाती का राजा नेतरहाट
नेतरहाट अपनी खूबसूरती के साथ नाशपाती की खेती के लिए भी जाना जाता है. इस क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ जमीन में नाशपाती की खेती की जाती हैं. इस क्षेत्र की जमीन को नाशपाती की खेती के लिए बेहतर माना जाता है और यहां बड़े पैमाने पर नाशपाती की खेती की जाती है.
मनरेगा की बड़ी भूमिका
फलों के उत्पादन में मनरेगा की बड़ी भूमिका रही है. मनरेगा के तहत बागवानी का कार्यक्रम शुरू किया गया. इस कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर फलदार वृक्ष लगाये गये. ये योजना पूरी तरह से सरकारी वित्त पर आधारित है और लाभुक को इससे केवल लाभ ही मिलता है. इसलिए ये योजना सक्सेस भी कर रही है.