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रांची/डेस्क: BAU में गिलोय प्रोसेसिंग एंड रिसर्च में गिलोय को टैबलेट का आकार दिया जाता है. बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में खुद का ऑर्गेनिक गिलोय का उत्पादन किया जाता है. अलग-अलग प्रोसेसिंग के जरिए गिलोय को टैबलेट का रूप दिया जाता है, साथ ही इस मशीन की सबसे अच्छी खासियत यह है कि इस मशीन से पॉल्यूशन नहीं होता है.
कृषि रिसर्च डायरेक्टर पीके सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के वित्तीय राशि से बनाया गया केंद्र पर गिलोय प्रोसेसिंग एंड रिसर्च केसरिया गिलोय को टैबलेट का आकार दिया जाता है. कोरोना काल के समय लोगों को गिलोय की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हुई थी. गिलोय के कई फायदे हैं. बुखार उतरने से लेकर डायबिटिक पेशेंट भी इसका उपयोग कर सकते हैं. गिलोय की खेती कैसे करें और उनसे हम खरीदे इसकी भी तैयारी की जा रही है, ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाया जा सके. बहुत जल्द मार्केट में भी हमारे द्वारा बनाए गए गिलोय बिकने शुरू हो जाएंगे जिसकी प्रक्रिया चल रही है.
वहीं, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. कौशल कुमार ने बताया कि यह भारत की पहले प्रोसेसिंग एंड रिसर्च सेंटर है. जहां पर हम गिलोय का उत्पादन भी करते हैं और साथ ही साथ यहां पर टेक्नोलॉजी के जरिए गिलोय के टैबलेट्स भी बनाए जाते हैं. हम बहुत जल्द गिलोय विलेज की भी स्थापना करने जा रहे हैं ताकि किसानों का फायदा हो सके. किसान इससे ज्यादा लाभान्वित हो सके उसके लिए तैयारी चल रही है. अभी फिलहाल हमारे पास फार्मेसी का सर्टिफिकेट नहीं है, मगर प्रक्रिया चल रहा है और बहुत जल्द हम आयुर्वेद के जरिए अलग-अलग कार्बनिक और पूरे दवाई को बाजारों में बेचना शुरू कर देंगे ताकि लोगों को सही दवा मिल सके.