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रांची: राजधानी रांची के समाहरणालय में महत्वपूर्ण अफसरों के कोर्ट में नियमित सुनवाई नहीं होने से लाभुकों की परेशानी बढ़ गयी है. समाहरणालय के ए ब्लाक में जिले के उपायुक्त, जिला भू अर्जन पदाधिकारी और अपर समाहर्ता का कार्यालय है. वहीं ब्लाक बी में भूमि सुधार उप समाहर्ता, सदर अनुमंडल अधिकारी का कार्यालय है. इनमें से सभी के कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है. जिला भू अर्जन कार्यालय में जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है. चार महीने से मुआवजे का भुगतान काफी धीमा चल रहा है. नये जिला भू अर्जन पदाधिकारी अंजना दास की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग, बिरसा मुंडा एयरपोर्ट, रिंग रोड, केंद्रीय विश्वविद्यालय और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए ली गयी जमीन के मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है. नवंबर 2021 से मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. उनका कहना है कि चुंकि वह नयी हैं. इसलिए सभी मामलों का अध्य्यन कर रही हैं. अपने सहयोग के लिए उन्होंने एक अधिवक्ता को भी रखा है, पर अधिकांश मामलों पर वह खुद निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पा रही हैं. अमूमन जिला भू अर्जन पदाधिकारी कार्यालय की तरफ से दो सौ करोड़ से अधिक के मुआवजे का भुगतान प्रत्येक वित्तीय वर्ष में होता है, जो अभी व्यवस्थित नहीं हो पाया है.
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उधर, दूसरे सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी हैं भूमि सुधार उप समाहर्ता. यहां पर म्यूटेशन अपील, दाखिल खारिज वाद, जमीन संबंधी मामलों की सुनवाई होती है. रांची के 20 से अधिक अंचल कार्यालयों में बात नहीं बनने से लोग एलआरडीसी कोर्ट में आते हैं. पर सोमवार से लेकर बुधवार तक रोजाना लगनेवाले कोर्ट के नहीं लगने से लोगों की दिक्कतें बढ़ गयी हैं. मार्च माह में कहा जाये, तो तीन दिन के हिसाब से 12 दिनों में से सिर्फ पांच-छह दिन ही कोर्ट चला है. इससे कई अपीलकर्ताओं को दिक्कतें हो रही हैं. एलआरडीसी कोर्ट में आदिवासी जमीन को बेचने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र यानी एनओसी भी जारी किया जाता है. इसकी गति भी धीमी है. इसके अलावा एलआरडीसी कार्यालय से राजधानी में कोविड-19 से हुई मौत के मामले में आश्रितों को भुगतान भी किया जाता है. इसके अलावा उपायुक्त और अपर समाहर्ता स्तर के आदेशों का अनुपालन भी जरूरी है. एलआरडीसी कार्यालय के लोगों का कहना है कि कार्य की अधिकता से नियमित कोर्ट नहीं लग रहा है. वहीं अन्य मामलों का निष्पादन हो रहा है.
लोगों का कहना है कि इन सबसे ऊपर डीसी कोर्ट है. यहां भी जमीन संबंधी समस्याओं के अलावा अन्य मामलों की भी सुनवाई होती है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं से लेकर राज्य सरकार की सभी प्रमुख स्कीम की मोनिटरिंग और जमीन अधिग्रहण से संबंधित मुआवजे के भुगतान को लेकर भी डीसी कोर्ट में अर्जी दी जाती है.