प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: प्राकृतिक हरियाली के बीच स्थित लाखे दुर्गा मंडप में मां दुर्गा की शारदीय दुर्गा पूजन पद्धति के अनुसार पूजा का भव्य आयोजन होने जा रहा हैं. यहां पर दुर्गा पूजा की शुरूआत वर्ष 1952 में स्व नारायण मिश्र द्वारा तिरपाल का शेड बनाकर की गई थी. पूजा कराने वाले प्रथम आचार्य पंडित कमल लोचन उपाध्याय थे. तब से लगातार मां दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा हैं. 1952 में विजयदशमी की पूजा के उपरांत मां दुर्गा की प्रतिमा लाखे में घुमाई गई थी. इससे पहले ग्राम लाखे में सरस्वती पूजा होती थी किन्तु प्रतिमा पूरे गांव में नहीं घुमाई जाती थी. 1953 में स्व नारायण मिश्र द्वारा निजी जमीन पर दुर्गा मंडप का निर्माण कराया गया था.
वर्ष 1959 में स्वर्गीय नारायण मिश्र की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र भगवान मिश्र, परम्परा का निर्वाह करते हुए माँ दुर्गा की पूजा कर रहे हैं. आचार्य पंडित कमल लोचन उपाध्याय की मृत्यु के पश्चात् वर्ष 1975 से वर्ष 2004 तक लाखे निवासी प्रो भूपाल उपाध्याय दुर्गा मंडप के आचार्य रहे. वर्तमान में डॉ साकेत कुमार पाठक बतौर आचार्य मां दुर्गा की पूजा करा रहे हैं. भगवान मिश्र ने वर्ष 2012 मे वास्तुकार से संपर्क कर नक्शा तैयार करवाकर एक नए दुर्गा मंडप का निर्माण अपनी ओर से कराया है, जिसमें उन्होंने किसी से कोई वित्तीय सहयोग नही लिया. श्रद्धालु जो भी मां के चरणों में समर्पित करना चाहते है वो करते हैं. इसी कारण दुर्गा मंडप में किसी तरह का प्रदर्शन या आडंबर नहीं हैं.
मंदिर परिसर में एक सुंदर वाटिका भी है, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं. मंडप में दुर्गा पूजा की तैयारी एक माह पहले से ही शुरू कर दी जाती हैं. भगवान मिश्र के बड़े पुत्र अरूण कुमार मिश्र द्वारा पूजा की तैयारी एवं छोटे पुत्र तरूण कुमार मिश्र द्वारा शारदीय दुर्गा पूजन, प्रसाद वितरण एवं अन्य कार्यों की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाती हैं. सादगी एवं पवित्रता भरे माहौल में श्रद्धालु नवरात्र के अष्टमी एवं नवमी को मां की पूजा करने आते हैं. पूजा के दौरान उन्हे पूर्ण रूप से सम्मान एवं सहयोग दिया जाता रहा हैं. भक्तों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती है ताकि उन्हे किसी प्रकार की असुविधा न हो. मंडप में प्रशासन के निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता हैं. भक्तों के लिए अष्टमी व नवमी की संध्या को मां दुर्गा मंडप परिसर में प्रसाद वितरण का आयोजन प्रतिवर्ष होता हैं.