पारस यादव/न्यूज़ 11 भारत
लातेहार/डेस्क: लातेहार जिला हमेशा किसी ना किसी योजना में घोटाले को लेकर चर्चित रहता है. जब प्रखंड गारु में मनरेगा में की बात आती है तो यह सबसे आगे निकल जाता है. मनरेगा योजना में दलालों व प्रशासनिक अमले की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के रोज नये-नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं, जो मनरेगा योजना में शामिल रोजगार की अवधारणा को तार तार कर रहा है.
मनरेगा वेंडर का प्रखंड में न दुकान है और न ही ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था
प्रखंड में कोई भी वेंडर अस्तित्व में नहीं है. मनरेगा वेंडर सिर्फ वाउचर बेचकर कमाई कर रहे हैं. जबकि नियमतः प्रखंड में जिस्टर्ड वेंडरों का मैटेरियल सप्लाई से जुड़ी अपनी दुकान होनी चाहिए. दुकानों के आगे जीएसटी, रजिस्ट्रेशन नम्बर आदि जानकारी डिस्प्ले बोर्ड पर दर्ज रहनी चाहिये. लेकिन वेंडरो के पास मैटेरियल सप्लाई का कोई दुकान नहीं है. बड़ा सवाल है कि ऐसे वेंडरों को जिला प्रशासन और प्रखंड बिना जांच किए वेंडर के रूप में करता है निबंधन. जब कभी जांच की बात आती है तो जिला प्रशासन द्वारा सभी वेंडर की मिली भगत से पूर्व में ही सूचित कर दिया जाता है, जिससे वो सतर्क होकर दुकान का बोर्ड और कुछ मटीरियल गिरा कर खुद को सप्लायार दिखा देते है.
ऐसे की गई पैसे की निकासी
उल्लेखनीय है कि बीते 2 जुलाई से 19 जुलाई के बीच प्रखंड के रुद, कोटाम, मायापुर, बारेसाढ, करवाई, धांगरटोला पंचायतों में 125 से अधिक बिरसा कूप संवर्धन योजना के लिए सूचना बोर्ड के नाम पर 2500 रुपए के हिसाब से फर्जी निकासी कर लिया गया है. वहीं सैकड़ो लाभुक ऐसे में मटीरियल खुद से खरीद रहे है और वाउचर सप्लायर का मजबूरी वस लगा रहे हैं. पूरे मामले पर जब संबंधित पंचायत सचिवों के पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि मटीरियल निकासी की जानकारी नहीं है.