झारखंडPosted at: सितम्बर 20, 2024 हजारीबाग में एनटीपीसी की नीति ने ग्रामीणों को किया परेशान, सार्वजनिक सड़कों से कोयला परिवहन ने बढ़ाई ग्रामीणों की परेशानी
खाई में सड़क है या सड़क में खाई, यह बताना संभव नहीं, सिर पर कफन बांधकर सफर करने को मजबूर हैं ग्रामीण
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: एनटीपीसी के चट्टी बरियातु कोल खनन परियोजना से विभिन्न स्थानों पर कोयले की ढुलाई सार्वजनिक सड़कों के माध्यम से हाइवा जैसे भारी वाहनों के द्वारा जारी है. ये वाहन चट्टी बरियातु एवं केरेडारी कोल माइंस से कोयला लेकर ग्रामीण सड़क जोरदाग लबनिया मोड़ एवं केरेडारी टंडवा मुख्य सड़क के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर पहुंचाते हैं. एक ओर जहां पावर प्लांटों को कोयला की आपूर्ति की जा रही है वहीं सार्वजनिक सड़कों से कोयले की ढुलाई होने से ग्रामीण भयभीत हैं. उन्हें अब अपनी जान-माल का डर सताने लगा है. जोरदाग से लबनिया मोड़ तक आने-जाने वाले लोग अब परिवहन से उड़ने वाली धूल से परेशान हैं. इतना ही नहीं प्रतिदिन 50 से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा का दीप जलाने के लिए पैदल केरेडारी उच्च विद्यालय जाते हैं उन सभी को भी धूल के कणों का काफी सामना करना पड़ रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी को कोयला परिवहन के लिए अलग से सड़क बनानी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्य से कंपनी ग्रामीण जनता को डराकर कोयला परिवहन के लिए बजबारन ग्रामीण सड़क का उपयोग कर रही है. चूंकि जोरदाग से लेकर लबनिया मोड़ तक सड़क से आम जनता आवागमन करती है लेकिन कोयला परिवहन के कारण लोग यमराज रूपी हाइवा से भयभीत रहते हैं. राहगीरों में हमेशा भय बना रहता है कि पता नहीं कब उनकी जान चली जाए और लोग सिर पर कफन बांधकर यात्रा करने को मजबूर हैं. पूर्व में भी इन हाइवा की चपेट में आकर कई राहगीर घायल हो चुके हैं. वहीं किसान समुदाय के ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग खेती कर अपना जीविकोपार्जन करते थे लेकिन कोयला परिवहन से उड़ने वाले धूल के कारण अब खेती करना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी ने मात्र 15 दिनों के लिए इस सड़क से परिवहन करने की बात कही थी लेकिन दो वर्ष बीत गए इसके बावजूद भी अब तक वैकल्पिक सड़क की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं.
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