अशिस शास्त्री/न्यूज़11 भारत
सिमडेगा/डेस्क: मुंडा व खडिय़ा जनजाति बहुल कोलेबिरा विधानसभा सीट पर लंबे समय से कांग्रेस और झारखंड पार्टी का कब्जा रहा हैं. भाजपा इस सीट पर अब तक जीत का स्वाद नहीं चख पाई हैं.
विगत दो आम चुनावों और एक उपचुनाव में भाजपा लगातार इस सीट पर रनर बनती आ रही हैं. अगर जीत दर्ज करने वाले दो प्रत्याशियों में एनोस एक्का और थियोडोर किड़ो को छोड़ दिया जाए तो अन्य प्रत्याशी मुंडा जनजाति से संबंध रखते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में 45 हजार से अधिक मतदाता मुंडा जनजाति से हैं. 2005 में एनोस एक्का ने कांग्रेस के उम्मीदवार थियोडोर किड़ो को 4246 मतों से पराजित किया था. उस चुनाव में एनोस एक्का को 34067 तथा थियोडोर किड़ो को 29781 मत मिले थे. 2009 के चुनाव में एनोस एक्का फिर 7502 वोटों से चुनाव जीते. उन्हें 28834 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी महेंद्र भगत को 21332 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी बेंजामिन लकड़ा को कुल 13449 वोट मिले थे.
इसके बाद 2014 के चुनाव के दौरान पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या हो गई और इसी मामले में एनोस एक्का को जेल जाना पड़ा. बावजूद उन्होंने फिर इस सीट पर जीत दर्ज कराई और भाजपा के मनोज नागेशिया को करीब 17143 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया. एनोस एक्का को इस चुनाव में 48,978 वोट मिले थे. ऐसे में पारा शिक्षक हत्याकांड में एनोस एक्का को एडीजे कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उनकी विधायकी भी चली गई. उपचुनाव हुआ, और एनोस की पार्टी झापा को करारी हार झेलनी पड़ी.
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इस चुनाव में झापा से मेनोन एक्का को चौथे स्थान हासिल हुआ. कांग्रेस ने उपचुनाव में झापा से झटकी थी यह सीट, और नमन विक्सल कोंगाड़ी सिंहासन पर विराजमान हुए थे. इसके बाद 2019 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल कोंगाड़ी ने भाजपा के सुजान मुंडा को 20 हजार वोट के अंतर से पराजित कर सिंहासन पर अपना कब्जा बरकरार रखा. इसके बाद कोलकाता कैश कांड ने नमन विक्सल कोंगाड़ी की सिंहासन को हिलाया जरूर, लेकिन इनको विचलित नहीं किया. कैश कांड के बाद एक बार फिर से नमन विक्सल कोंगाड़ी कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए जी तोड़ मेहनत किए हैं.
हालांकि कुछ लोग क्यास लगाए हुए है कि कोलकाता कैश कांड के कारण वर्तमान विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी का पत्ता कट सकता हैं. सूत्र बताते हैं कि इस विधानसभा सीट पर भी इस बार विधानसभा चुनाव में के टिकट की दौड़ में कांग्रेस के कई लोग लगे हुए हैं. हालांकि टिकट पर अंतिम निर्णय पार्टी के आलाकमान का ही होगा.
इस बार भी विधानसभा चुनाव में कोलेबिरा सीट अब दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई हैं. जहां कांग्रेस अपनी सीट पर जीत दुहराने या यूं कहें कि कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगा रही है, एनोस एक्का की पार्टी झापा फिर से इस सीट को अपने कब्जे में लेने की जुगत कर रही हैं. वहीं भाजपा भी यहां अपना खाता खोलने के प्रयास में जुटी हैं.
वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में कोलेबिरा सीट से जब भाजपा ने अपना प्रत्याशी खड़ा नही किया था, तब सभी समीकरण को तोड़ते हुए एनोस एक्का एक बड़ी जीत हासिल करते हुए कोलेबिरा सीट पर कब्जा जमाया था. इस चुनाव में बीजेपी का सारा वोट एनोस एक्का के खाते में गई थी. अगर इस बार भी भाजपा 2005 के स्टंट अपनाएगी तो हो सकता है कि इस विधानसभा सीट का चुनावी परिणाम में एक बदलाव दिखे. जो अप्रत्याशित हो. हालांकि अभी तक इस मामले में कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही हैं.
कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र के तीन बड़े मुद्दे हैं.
- पलायन: क्षेत्र में गरीबी व पलायन की गंभीर स्थिति हैं. लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए पलायन करने को विवश होते हैं.
- जंगली हाथियों का प्रकोप: क्षेत्र में जंगली हाथी सालों भर आबादी में घुसकर लोगों को परेशान करते हैं. फसलों और जान-माल का नुकसान भी होता हैं.
- मोबाइल नेटवर्क: क्षेत्र के कई हिस्सों में मोबाइल नेटवर्क की स्थिति चिंताजनक हैं. लोगों को संपर्क करने में परेशानी उठानी पड़ती हैं.
इसके अलावा कोलेबिरा विस क्षेत्र में जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा, आजीविका और अमन-चैन भी अहम मुद्दा हैं. इन सारे मुद्दों के साथ डी लिस्टिंग और आदिवासी हिंसा भी इस बार मुख्य चुनावी मुद्दा बनकर इस विधानसभा के चुनावी रण का दंगल करवाएगा. चुनावी परिणाम जो भी हो लेकिन चुनावी दंगल का रोमांच देखने लायक रहेगा.