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रांची/डेस्क: साइबर ठगी का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पुणे में एक बुजुर्ग डॉक्टर को अत्यंत चालाकी से 28 लाख रुपये का नुकसान हुआ. इस बार ठगों ने एक नई रणनीति अपनाई, जो बेहद धोखेबाज और डराने वाली थी. यह मामला यह दर्शाता है कि साइबर ठग अब बेहद नए और चालाक तरीके अपना रहे हैं. इसलिए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अनजान कॉल या संदेश से घबराकर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
28 नवंबर को डॉक्टर साहब के पास एक अजनबी नंबर से WhatsApp कॉल आई, जिसमें खुद को CBI ऑफिसर बताने वाले ठग ने आरोप लगाया कि डॉक्टर एक बड़े क्रेडिट कार्ड फ्रॉड में शामिल हैं. आरोप यह था कि डॉक्टर के नाम पर 1 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ और उसे 20 लाख रुपये का कमीशन मिला. ठग ने डॉक्टर को यह बताया कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से नोटिस जारी हो चुका है और मामले की जांच चल रही हैं.
इसके बाद डॉक्टर के सामने एक और फर्जी वकील आया, जिसने अपना नाम सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में बताया और डॉक्टर से उनकी फाइनेंशियल और पर्सनल डिटेल्स मांगी. इस दौरान उन्हें कहा गया कि जांच के दौरान उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया है और वे कमरे में बंद रहें. फिर ठगों ने डॉक्टर पर दबाव डाला कि वह 28 लाख रुपये दो अलग-अलग अकाउंट्स में ट्रांसफर करें.
डॉक्टर ने घबराहट में किया ट्रांजैक्शन
डॉक्टर को इस स्थिति में ऐसा डराया गया कि उसने घबराकर 28 लाख रुपये ठगों के अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए लेकिन बाद में डॉक्टर के बेटे ने इन ट्रांजैक्शंस को देखा और उन्हें संदिग्ध लगने पर मामले की जांच शुरू की. जल्द ही पता चला कि यह पूरा मामला एक बड़ी साइबर ठगी का था और इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया.