न्यूज़11भारत
रांची/डेस्क: झारखंड में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं. मल्टी विलेज स्कीम (MVS) के तहत 780 करोड़ रुपये का टेंडर केवल कागजी कार्रवाई के माध्यम से प्रबंधित किया गया. इस योजना की 92 परियोजनाओं में केवल दो एजेंसियों ने टेंडर में भाग लिया, जिनमें से एक वास्तविक कार्य करने वाली थी और दूसरी केवल दिखावे के लिए थी. सभी 92 टेंडर पहले से ही प्रबंधित थे, जिसके बदले में एजेंसियों से करोड़ों रुपये की वसूली की गई.
प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) को मिली जांच की जिम्मेदारी
इस मामले की जांच के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जिसके बाद मुख्य सचिव ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव को प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) को जांच का कार्य सौंपा है. पीएमओ ने 17 जनवरी से 31 मार्च 2023 के बीच जारी सभी 92 वर्क आर्डर में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है.
टेंडर के द्वारा करोड़ों रुपये की गई वसूली
बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय को यह शिकायत प्राप्त हुई थी कि टेंडर के माध्यम से करोड़ों रुपये की वसूली की गई है. यह धनराशि पेयजल विभाग के मंत्री से लेकर क्लर्क तक के बीच वितरित की गई है. तत्कालीन अभियंता प्रमुख रघुनंदन शर्मा की निगरानी में टेंडर की प्रक्रिया हुई. अभियंता प्रमुख ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ज्वाइंट वेंचर (JV) कंपनियों का गठन कर कई कार्य आदेश जारी किए, जबकि अधिकांश जेवी कंपनियों के बैंक खाते भी नहीं खोले गए हैं. जेवी कंपनी ने टेंडर में भाग लिया, लेकिन कार्य आदेश व्यक्तिगत एजेंसियों के नाम पर जारी किए गए हैं और भुगतान भी जेवी खाते के बजाय व्यक्तिगत खातों में किया जा रहा है. कई योजनाओं में एक ही संवेदक ने अपनी दो कंपनियों के कागजात को टेंडर में दिखाकर लाभ उठाया है.
साल 2019 में शुरू हुई थी योजना
बताते चले कि साल 2019 में यह योजना शुरू हुई थी. और दिसंबर 2024 में योजना समाप्त होगी. झारखंड में कुल घरों की संख्या 62.30 लाख है. 33.18 लाख घरों तक नल से जल पहुंचा. वहीं, 29.11 लाख कितने घर अब भी वंचित है.