न्यूज़11 भारत
रांची/डेस्क: बिहार में जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री बनने और हटने का प्रकरण देशभर में चर्चा में रहा था. झारखंड में चंपाई सोरेन का इस्तीफा देना मांझी प्रकरण की याद दिला रहा है. हालांकि चुनाव में जेडीयू के बढ़िया प्रदर्शन नहीं करने के कारण बिहार में नीतीश कुमार ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कुर्सी छोड़ी थी. हालांकि 10 महीने बाद ही जीतनराम मांझी को हटाकर नीतीश कुमार खुद सीएम की कुर्सी पर बैठ गये. हालांकि झारखंड में परिस्थितियां थोड़ी उलट थीं. यहां जेल जाने के कारण हेमंत सोरेन को कुर्सी छोड़नी पड़ी. विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम पर चर्चा हुई और सर्वसम्मति से ईमानदार छवि के नेता चंपाई सोरेन के नाम पर सहमति बन गयी. चंपाई ने राज्य की कमान संभाली और हेमंत के काम को आगे बढ़ाते हुए बेहतर शासन दिया.
जेल में करीब पांच महीने बीतने के बाद हेमंत सोरेन को आखिरकार बेल मिल गयी. जमानत पर बाहर आने के बाद कयासों का बाज़ार गर्म रहा कि क्या एक बार फिर हेमंत सोरेन राज्य की कमान संभालेंगे. इसमें कोई शक नहीं कि हेमंत सोरेन राज्य के ऐसे नेता हैं जिनका कद बड़े नेताओं में शुमार किया जाता है. आदिवासियों के अलावा गैर आदिवासियों के बीच भी हेमंत सोरेन की लोकप्रियता है.
आने वाले कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में ये सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया कि किसके नाम पर महागठबंधन चुनाव में जायेगा. चंपाई सोरेन राज्य में एक ईमानदार और स्वच्छ छवि के बड़े नेता हैं. लेकिन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव में जाने पर सहमति बनी. लाजिमी सी बात है बीते कुछ सालों में जिस तरह से हेमंत ने खुद को बेहद परिपक्व बनाया है, सहयोगी राजनीतिक दलों का भरोसा उनपर ज़्यादा बढ़ा है.
चंपाई सोरेन को लेकर कई तरह के कयास राजनीतिक गलियारे में तैर रहे थे. कोई कह रहा था कि चंपाई सोरेन नाराज़ हैं, तो कोई कह रहा था कि चंपाई इस्तीफा नहीं देंगे. लेकिन इन सब बातों को धत्ता बताते हुए चंपाई सोरेन ने बैठक में खुद ही पद छोड़ने और हेमंत सोरेन को नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा. उनके इस प्रस्ताव पर सभी नेताओं ने एकमत से सहमति जाहिर की. इसके बाद राजभवन जाकर चंपाई सोरेन ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को सभी विधायकों का समर्थन पत्र सौंप सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया.