सुमित कुमार पाठक/न्यूज़11 भारत
रामगढ़/डेस्क: PVUNL कंपनी पतरातू द्वारा विगत दिनांक-07/09/2024 को प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से 25 गांव के विस्थापित-प्रभावितों को रोजगार में प्राथमिकता देने की जो बात कही गई है, वह सरा-सर झूठा हैं. झारखंड सरकार के नियोजन अधिनियम-2022 के तहत 75% स्थानीय विस्थापित प्रभावितों को रोजगार में प्राथमिकता देने का जो कानून बना हैं. उसे PVUNL प्रबंधन के द्वारा खुलेआम अवहेलना किया जा रहा हैं.
PVUNL प्रबंधन के कुछ पदाधिकारी द्वारा बाहर के लोगों को स्थानीय पता देकर रोजगार में रखा जा रहा हैं. जहां जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार को झूठा आंकड़ा देकर दिग्भ्रमित करने का काम किया जा रहा हैं. PVUNL प्रबंधन के CSR के माध्यम से विस्थापित गांवों के विकास कार्य करने का दावा जो पेश किया गया हैं. वो भी झूठा हैं. पूर्व में PTPS प्लांट के द्वारा 25 गांव के भूमि अधिग्रहण किया गया था, जिसमें लगभग 6500 एकड़ जमीन 868 जमाबंदी रैयतों की जमीन लिया गया है, परंतु PVUNL प्रबंधन के द्वारा मात्र दो से तीन गांव में ही CSR का काम किया जाता हैं. बाकी गांवों में किसी तरह का विकास कार्य नहीं किया जा रहा है जो बहुत ही निंदनीय हैं. CSR के विकास कार्य के फंड को प्रबंधन के द्वारा प्लांट परिसर में उपयोग कर विस्थापित गांव में कार्यों का झूठा आंकड़ा पेश किया जा रहा हैं.
PVUNL प्रबंधन रोजगार और CSR के कामों में पारदर्शिता जल्द से जल्द लाने का कार्य करें, नहीं तो झामुमो के द्वारा बहुत जल्द उग्र आंदोलन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से झामूमो जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा योगेन्द्र यादव, वरिष्ठ नेता रंजीत बेसरा, जिला उपाध्यक्ष मुमताज अंसारी उपस्थित हुए.