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रांची/डेस्क: रांची के रिम्स अस्पताल में हाल ही में निकाय समिति की बैठक हुई, जिसमें कुल 59 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और 23 प्रस्तावों पर सहमति बनी. इस बैठक में मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए कई अहम फैसले लिए गए. खासकर इलाज के दौरान मृत्यु होने पर गरीब परिवारों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए. बैठक में तय किया गया कि अगर किसी बीपीएल यानी गरीबी रेखा से नीचे वर्ग के मरीज की इलाज के दौरान मौत हो जाती है, तो उसे अस्पताल से घर तक निशुल्क मोक्ष वाहन के जरिए ले जाया जाएगा. इसके अलावा अगर मृतक के परिजन अंगदान के लिए तैयार होते हैं, तो उन्हें अंतिम संस्कार के लिए जरूरी सामान वाला ₹5000 का क्रियाकर्म किट भी दिया जाएगा. इस फैसले को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है.
RIMS में इलाज के दौरान मौत हो जाने पर मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए कीट दिए जाने से कुछ लोगों ने कहा कि ₹5000 के किट के लिए अंगदान को बाध्यता बनाना सही नहीं है. उनका मानना है कि अंगदान एक संवेदनशील फैसला है, जिसे स्वेच्छा से लिया जाना चाहिए, न कि किसी लाभ के लालच में. वहीं, कुछ लोगों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया और कहा कि इससे अंगदान को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कई जरूरतमंदों की जान बच सकती है. वहीं रिम्स की निदेशक डॉ. शशिबाला सिंह ने स्पष्ट किया कि ₹5000 वाला किट कोई सौदा नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य विभाग की ओर से अंगदाता को दी जाने वाली श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि मोक्ष वाहन की सुविधा केवल उन्हीं बीपीएल परिवारों के लिए है, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं.
वहीं इस मसले पर रिम्स के PRO डॉ राजीव रंजन ने बताया कि यह फैसला गरीब मरीजों और उनके परिजनों को राहत देने के मकसद से लिया गया है. इलाज के दौरान अगर किसी की मौत हो जाती है और वह मर्जी से अंगदान करता है तो उन्हें यह किट दी जाएगी. वहीं अंगदान के प्रति लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सुविधा कितनी जल्दी और प्रभावी रूप से धरातल पर उतरती है. इस फैसले के बाद एक बार फिर यह चर्चा में है कि सरकार को अंगदान जैसे विषय पर किस तरह से लोगों को जागरूक करना चाहिए, ताकि जरूरतमंदों की मदद हो और यह एक स्वाभाविक सामाजिक पहल बने.