अशिस शास्त्री/डेस्क:
सिमडेगा/डेस्क: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के बाद यानी आश्विन आमवस्या के बाद ही होता हैं. यह कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता हैं. यह नवरात्रि शरद ऋतु में आती है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं. नवरात्र में नौ दिनों तक शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बे के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शारदीय नवरात्रि इस वर्ष बार 3 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ आरंभ होगी और 11 अक्टूबर को महानवमी होगी. 12 अक्टूबर को विजय दशमी के साथ इसका समापन होगा. इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी, जो देश-दुनिया के लिए अशु्भ प्रभाव का संकेत दे रहा हैं.
प्रिंस चौक दुर्गा पूजा शक्ति स्थल के पुरोहित आचार्य श्याम सुंदर मिश्र ने बताया कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 2 अक्टूबर को देर रात 12:18 बजे से होगी. यह तिथि 4 अक्टूबर को 02:58 बजे तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर इस शारदीय नवरात्रि का आरंभ इस वर्ष 3 अक्टूबर से हो रहा हैं. उन्होंने बताया की इस बार दुर्गा अष्टमी और महानवमी दोनो तिथि एक हीं दिन 11 अक्टूबर को होगी.
पंचांग के अनुसार इस वर्ष नवरात्र की तिथियां
3 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार)- प्रतिपदा घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा. घटस्थापना मुहूर्त प्रातः 05:28 बजे से प्रातः 06:31 बजे तक हैं.
4 अक्टूबर, 2024 (शुक्रवार)- द्वितीय, ब्रह्मचारिणी पूजा.
5 अक्टूबर, 2024 (शनिवार)- द्वितीय, द्वितीया.
6 अक्टूबर, 2024 (रविवार)- तृतीया सिन्दूर तृतीया, चंद्रघंटा पूजा, विनायक चतुर्थी.
7 अक्टूबर, 2024 (सोमवार)- चतुर्थी कुष्मांडा पूजा, उपांग ललिता व्रत.
8 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार)- पंचमी सरस्वती आवाहन.
9 अक्टूबर, 2024 (बुधवार)- षष्ठी सरस्वती आवाहन, कात्यायनी पूजा. मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त सुबह 10:25 बजे से शाम 04:42 बजे तक हैं.
10 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार)- सप्तमी, कालरात्रि पूजा, सरस्वती पूजा.
11 अक्टूबर, 2024 (शुक्रवार)- अष्टमी, दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, संधि पूजा, महानवमी पूजन.
12 अक्टूबर, 2024 (शनिवार)- दशमी, आयुध पूजा, नवमी होम, नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी
आचार्य श्याम सुंदर मिश्र ने बताया कि इस बार मां दुर्गा का आगमन पालकी पर होगा. हर साल मां दुर्गा अलग-अलग सवारी पर सवार होकर आती हैं. देवीपुराण के अनुसार इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा की पालकी पर सवार होकर आना देश की अर्थ व्यवस्था और सुरक्षा के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होकर, यह इस पर निर्भर करता है कि नवरात्रि का शुभारंभ किस दिन से हो रहा हैं. मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि का आरंभ होता है तो मां दुर्गा की सवारी अश्व यानी कि घोड़ा मानी जाती हैं. यदि नवरात्रि गुरुवार और शुक्रवार को आरंभ होती है तो मां दुर्गा की सवारी डोली और पालकी मानी जाती हैं. यदि मां दुर्गा रविवार और सोमवार को आती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती हैं. जो कि सबसे शुभ मानी जाती हैं.
ज्योतिष और धर्म के जानकार लोग बताते है कि मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं हैं. मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा हैं. अर्थ व्यवस्था गिरने से लोगों का कामकाज बंद पड़ने की आशंका हैं. साथ ही देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर हैं. लोगों को कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकती हैं. सेहत में भारी गिरावट आ सकती हैं. दूसरे देशों से हिंसा की खबरें आ सकती हैं.
आचार्य श्याम सुंदर मिश्र ने बताया कि इस नवरात्र माता मां दुर्गा चरणायुध (पैदल) होकर जाएंगी. मां दुर्गा का चरणायुध प्रस्थान करना भी शुभ नहीं माना जाता. ऐसे में इसका मानव के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता हैं.