माँ दुर्गा ने ऐसे तोड़ा देवताओं का अहंकार....
न्यूज11 भारत
रांची/डेस्क: इन दिनों दुर्गा पूजा को लेकर काफी धूम मची हुई है. जगह-जगह बड़े-बड़े पंडाल बनाए गए हैं. लोग नए-नए कपड़े पहनकर देवी के दर्शन करने आ रहे हैं. हर कोई भक्ति में डूबा हुआ है और आज शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है. इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. धार्मिक ग्रंथों में देवी दुर्गा से जुड़ी कई कहानियां मिलती हैं. तो क्यों न आज इस मौके पर मैं आपको इस आर्टिकल में देवी दुर्गा की एक कहानी बताऊं.
दुर्गा माँ ने तोड़ा देवताओं का अहंकार
एक बार देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में देवता विजयी हुए. इस कारण उनमें अहंकार आ गया. सभी देवता खुद को सबसे श्रेष्ठ मानने लगे. जब माता दुर्गा ने देवताओं को इस अहंकार से ग्रसित देखा तो वे एक तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं. इतना विशाल तेजपुंज देखकर देवता भी भयभीत हो गए. इंद्र ने तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए वायुदेव को भेजा. अहंकार से भरकर वायुदेव तेजपुंज के पास पहुंचे. तेजपुंज से उन्हें अपना परिचय देने को कहा. वायुदेव ने स्वयं को जीवन का अवतार तथा अत्यंत शक्तिशाली देवता बताया. तब तेजपुंज माता ने वायुदेव के सामने एक तिनका रखा और कहा कि यदि आप सचमुच इतने महान हैं तो इस तिनके को उड़ा दीजिए.
अपनी पूरी शक्ति लगाने के बाद भी वायुदेव उस तिनके को हिला नहीं सके. उन्होंने वापस आकर इंद्र को यह बात बताई. तब इंद्र ने अग्निदेव को उस तिनके को जलाने के लिए भेजा, लेकिन अग्निदेव असफल रहे. यह देखकर इंद्र का अभिमान चूर हो गया. उन्होंने उस तेजपुंज की आराधना की, तब तेजपुंज से माता शक्ति का स्वरूप प्रकट हुआ. उन्होंने इंद्र से कहा कि उनकी कृपा से ही तुमने दैत्यों पर विजय प्राप्त की है. इस प्रकार मिथ्या अभिमान करके अपना पुण्य नष्ट मत करो. देवी के वचन सुनकर सभी देवताओं को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने मिलकर देवी की आराधना की.