गौरव पाल/न्यूज 11
जमशेदपुर/डेस्क: दीपावली पर धन लक्ष्मी को पसंद करने के लिए मिट्टी के दीपक बनाने को वाले कुम्हार परिवार ने गति पकड़ ली है.इन दिनों बहरागोड़ा अंतर्गत सांडरा पंचायत के संडारा गांव में कुम्हार बस्ती पर रहने वाले कुम्हार परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने के लिए व्यस्त है. प्लास्टिक व चाइनीज की चीज बंद होने के कारण मिट्टी से बनाया हुआ सामान अच्छी बिक्री होने का उम्मीद है.संडारा गॉव निवासी निर्मल बेरा,बिमल बेरा व रंभा बेरा आदि के घर में मिट्टी के दीपक ,मटकी आदि सामान बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. कोई मिट्टी गुथने में लगा है तो कोई बनाने वाले चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं. घर के महिलाओं को आग जलाने व पके हुए बर्तनों को व्यवस्थित रखने का जिम्मा सौंपा गया है. इसके साथ ही महिलाओं ने आग जलाने वह पके हुए बर्तनों को सजाने के लिए जुटी है. दीपावली पर्व पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के निर्मित दीपक जलाए जाते हैं. मिट्टी के छोटी मटकीयों में धान की बाली भरकर उनकी पूजा होती है.
बहरागोड़ा के कुम्हार परिवार ने न्यूज 11 से बात करते हुए कहा हमारे दादा परदादा से चलते आ रहे एस व्यवसाय को हम लोग भी संभाल रहे हैं.मिट्टी से बने आइटम से लोगों का रुझान कम हो गया है. जिस हिसाब से इसे बनाने में मेहनत और पैसा लगता है उसके सापेक्ष हमें बहुत कम लाभ मिल पाता है.यही कारण है कि हम लोग दीपावली व गर्मियों में ही इस धंधे करते हैं. बाकी दिनों में अन्य काम करके अपना पेट पालते हैं. हमारा अपना जमीन भी नहीं है, महाजनों से जमीन ऋण लेकर खेती करते हैं.
धंधे में लाभ कम होने के कारण मोहल्ले के कई लोग इस धंधा को छोड़ चुके हैं. हम चार पुरुषों से पुश्तैनी काम करते आ रहे हैं. लेकिन अब कोई खास फायदा नहीं होता है. बाजार में इलेक्ट्रॉनिक झालरों की चमक के बीच मिट्टी के दीपक की रोशनी धीमी पड़ जाती है.
मांग बढ़ने से काम में आई तेजी:-
इस बार 150 रुपए से लेकर 175 तक प्रति दर्जनों दीया के बिकने की उम्मीद है. जबकि पिछले वर्ष के मूल्य की तुलना बड़े दीपक व अन्य मिट्टी के बर्तनों में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मिट्टी के सभी बर्तनों, खिलौनों आदि के दाम इस दीपावली में बढ़े हुए मूल्य पर ही दिखेंगी.
चाईनीज दियों ने मार्केट पर डाला असर:-
समय के साथ-साथ दीयों की खरीदारी भी कम होने लगी है, ऐसा बाजार में दिया बेचने वाले कुम्हारों ने बताया. लोग आर्टिफिशियल दीये खरीद रहे हैं. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में मिट्टी के दीयों की मांग कम हो जाएगी और हमारी जीविका भी प्रभावित होगी. जबकि मिट्टी के दीये कहीं सस्ते होते हैं.लोगों से अपील की है कि मिट्टी के दीये खरीदें ताकि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचा सकें.