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रांची/डेस्क: आपने कई प्रकार के हरे साग को खाया होगा. मगर हम ऐसे हरे साग की आज बात करेंगे, जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध है. अनेक बीमारियों में यह हरी पत्तियां बेहद लाभकारी और गुणकारी है. काढ़ा, साग और रस के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
कोलंबी या कलमी के नाम से भी इसे जाना जाता है. आयुर्वेद में इसके अनेक फायदे बताए गए हैं. कई रोगों में इसका प्रयोग कर मुक्ति पाई जा सकती है.
डॉक्टर्स ने भी कलमी के साग को बेहद फायदेमंद बताया है. खांसी, बवासीर, मूत्राशय में पथरी, आंख की बीमारी, सांस की समस्या, दाद खाज-खुजली, संक्रामक रोग, सुजन, कमजोरी, पेट की समस्या को ये जड़ से खत्म करने में मदद करती है. कलमी के पत्ते के 2 चम्मच के रस में दो चम्मच बैंगन पत्ते का रस मिलाकर सेवन करने से विष का भी प्रभाव कम हो जाता है.
कलमी के साग में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स विटामिन A, विटामिन B और विटामिन C जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते है. गंभीर बीमारियों में इसके गुणकारी तत्व बचाव के लिए कारगर होते हैं.
कलमी का साग बेहद स्वादिष्ट बनता है. इसका खाने में प्रयोग भी किया जाता है. इसके साथ ही इसकी पत्तियों का काढ़ा बना कर भी पीया जाता है. 5 से 10 मिली. रस इसकी पत्तियों का पीने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है.
अब तक तो कोई भी साइड इफेक्ट कलमी के सामने नहीं आए है. बिना आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लिए हुए, किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित लोग इसका प्रयोग न करें. क्योंकि एक आयुर्वेद का एक्सपर्ट ही उम्र और बीमारी के हिसाब से इसकी सही मात्रा बता सकता है.
Disclaimer: यह आलेख एक्सपर्ट के राय के अनुसार लिखी गई है. इसलिए उचित सलाहकार या चिकित्सक के सलाह से ही इसका प्रयोग करें.