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रांची/डेस्क: इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी रविवार को मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. बसंत पंचमी के दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धि एवं संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा-उपासना की जाती है. साथ ही इस दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है. बसंत पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगी और तिथि का अंत 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगा.
मां सरस्वती की उपासना करने से मिलते है चमत्कारिक लाभ, जानकार होंगे हैरान
1. रोज सुबह सरस्वती वंदना का पाठ करने से बढ़ती है एकाग्रता शक्ति.
2. मां सरस्वती के चित्र की स्थापना अपने पढ़ने वाले स्थान करें. इससे पढाई में मन लगेगा.
3. मां सरस्वती को कलम जरूर अर्पित करे. फिर उसी कलम का प्रयोग करें विशेष लाभ होगा.
4. बसंत पंचमी के दिन पीले एवं सफेद वस्त्र का प्रयोग करें. काले वस्त्र का प्रयोग बिलकुल ना करें.
5. केसर अभिमंत्रित करके जीभ पर 'ऐं' लिखवाये इससे संगीत और वाणी से विशेष लाभ मिलेगा.
6. जिनको बोलने और सुनने में समस्या का सामना करना पड़ता है वो पीतल के चकौर टुकड़े पर 'ऐं' लिखकर धारण कर सकते है.
बसंत पंचमी पर विशेष उपाय करके कर सकते है अपने ग्रहों को मजबूत, जाने उपाय
1. कुंडली में बुध ग्रह मजबूत ना हो तो बुद्धि कमजोर हो जाती है. इस हाल में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की उपासना हरे रंग के फल-फुल से करने से विशेष लाभ मिलता है.
2. कुंडली में अगर बृहस्पति कमजोर हो तो विधा प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस दशा में बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर. पीले फल-फुल से मां सरस्वती की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है.
3. करियर का चुनाव ना कर पा रहें हो या मन काफी चंचल रहता है तो इसका मतलब है आपके कुंडली में शुक्र कमजोर स्थिति में मौजूद है. ऐसे में बसंत पंचमी के दिन सफेद वस्त्र पहनकर. सफेद फूलो से मां सरस्वती की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है.
इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा, होगी सभी परेशानी दूर
बसंत पंचमी वाले दिन सफेद बसंती या पीले वस्त्र धारण करें. काले या लाल वस्त्र बिलकुल धारण ना करें. पूजा की शुरुआत पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके करें. फिर मां सरस्वती को सफेद एवं पीले पुष्प सफेद चंदन के साथ दाहिने हाथ से अर्पित करें. प्रसाद के रूप में मां सरस्वती को मिश्री लावा केसर मिश्रित खीर एवं दही अर्पित करें. इसके बाद अंत में मां सरस्वती के बीज मंत्र ' ओम ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करके प्रसाद ग्रहण करें.